(कहते हैं) ‘बांग्लादेश में आंदोलन के समय ‘हिंदू’ के रूपमें किसी पर भी आक्रमण नहीं हुआ !’ – महंमद तौहीद हुसेन
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ढाका (बांग्लादेश) – शेख हसीना बांग्लादेश से बाहर जाने के पश्चात तत्काल प्रशासन में रिक्तता तथा पुलिस की समस्या उत्पन्न हुई थी; क्याेंकि पुलिस युवा पीढी के विरोध में खडे थे । इसलिए शेख हसीना जाने पर तनाव अधिक था । इसलिए कुछ घटनाएं घटीं; परंतु इसे ‘हिंदूविरोधी आंदोलन’ कहना चूक है । यहा हिंसा अवामी लीग के निष्ठावानों के विरुद्ध थी, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विदेश व्यवहार परामर्शदाता मोहम्मद तौहीद हुसेन ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए आक्रमणों के विषय मेंं ऐसे शब्दों में स्पष्टीकरण देने का प्रयास किया ।
'Bangladeshi Hindu: 'No attacks happened on anyone just for being Hindu during the protests in Bangladesh!' – Interim Government's Foreign Affairs Advisor Md. Touhid Hossain
He also claimed that supporters of the Awami League were attacked.
Hossain claimed that it is wrong to… pic.twitter.com/i3c1QmQWjy
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) October 1, 2024
मोहम्मद तौहीद हुसेन ने आगे कहा कि आंदोलन के समय हिंसा हुई; परंतु वह कोई हिंदू अथवा मुसलमान इस आधार पर नहीं थी । इसके विपरीत उस समय हिंदुओं की अपेक्षा मुसलमानों पर अधिक आक्रमण हुए थे ।
बांग्लादेश में होगा दुर्गापूजा उत्सव
मोहम्मद तौहीद हुसेन से पूछा गया कि क्या देश में दुर्गापूजा मनाई जाएगी ?, तो उन्होंने कहा कि यह बहुत विचित्र बात है । कुछ लोगों को दुर्गापूजा पसंद नहीं होगी; परंतु इस देश में अनेक शतकाें से दुर्गापूजा हो रही है एवं ऐसा एक भी वर्ष नहीं गया कि दुर्गापूजा न हुई हो । जिन्हें दुर्गापूजा करनी है, वे निश्चित रूप से कर सकते हैं ।
भारत-बांगलादेश संबध अच्छे रहना आवश्यक !
भारत-बांग्लादेश संबंधों पर महंमद तौहीद ने कहा कि दोनों ही देशों में अच्छे संबंध रहने चाहिए । मेरी भारत के विदेशमंत्री डॉ. एस्. जयशंकर के साथ न्यूयार्क में बैठक हुई । इस बैठक में दोनों ही देशों के कामकाज के विषय में चर्चा की गई । इसमें शेख हसीना के संदर्भ में उनसे कोई चर्चा नहीं हुई । दोनों ही देशों व्यापार चल रहा है । कुछ अडचन आई थी; परंतु अब दोनों ही देशों में व्यापार को पुन: गति मिली है । दोनों ही देशों के परस्पर हितसंबंध हैं । तथापि भारत के वीसा केंद्र पूर्ण रूप से कार्यान्वित नहीं हुए हैं; परंतु यह संपूर्ण रूप से भारत सरकार का निर्णय है ।
‘बांगलादेश के आंदोलन के पीछे अमेरिका है’, ऐसा कहना चूक है !
भूतपूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आरोप लगाया कि उनकी सरकार गिराने का षड्यंत्र अमेरिका ने रचा था । इस विषय में मोहम्मद तौहीद हुसेन को पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि सत्ता परिवर्तन को षड्यंत्र कहना अर्थात युवा पीढी के बलिदान को व्यर्थ बताना है । विद्यार्थी तथा अन्य युवकोंं ने निरंकुश हुकूमत को लोकतंत्र तथेा सर्वसमावेशक बनाने हेतु प्राणों की आहुति दी है । युवा पीढी के बलिदान के कारण ही सरकार बदली एवं शेख हसीना को त्यागपत्र देकर देश छोड कर पलायन करना पडा । यह आकस्मिक आंदोलन था ।
संपादकीय भूमिकायदि आंदोलन के समय ‘हिंदुओंं’ पर आक्रमण नहीं हुए है, तो इससे पूर्व तथा अब भी हिंदुओं पर आक्रमण क्यों हो रहे हैं ? हिंदुओंं को दुर्गापूजा करने क्यों मना किया जा रहा है ? देवी-देवताओं के मूर्तियों की तोडफोड क्यों की जा रही है ? सरकार ऐसी घोषणा क्यों नहीं करती कि ‘हिंदुओं की हम रक्षा करेंगे, उनकी क्षतिपूर्ति करेंगे’ । |