लेखको, ग्रंथ में संस्कृत श्लोकों के साथ उनका अर्थ भी विशद किया गया, तो सर्वसामान्य पाठकों को उससे बोध होगा ! 

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

 ‘अनेक लेखक केवल संस्कृत श्लोक उद्धृत (Quote) कर उसके आगे लिखना आरंभ कर देते हैं । वर्तमान समय में संस्कृत भाषा प्रचलित न होने के कारण सर्वसामान्य लोगों को उन संस्कृत श्लोकों के अर्थ समझ में नहीं आते । इसलिए लेखक अपने लेख में श्लोकों के साथ उनका अर्थ भी स्पष्ट करें, तो पाठकों को उसका अधिक लाभ मिलेगा ।’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी