सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की एक अलौकिक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी : श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी !

श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के अध्यात्म के असामान्य अधिकार को बहुत पहले ही पहचान लेनेवाले महान गुरु सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी तथा उनकी बातें सत्य प्रमाणित करनेवालीं महान श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी !

श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी
श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी

१. श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी की असामान्य आध्यात्मिक शक्तियों को बहुत पहले ही पहचान लेनेवाले सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी !

(पू.) संदीप आळशी

‘लगभग वर्ष २०१३ में एक बार मैं एक सेवा के संदर्भ में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के पास गया था । उस समय उन्होंने मुझसे कहा, ‘‘बिंदा कितना करती है न ! (टिप्पणी) वह अध्यात्म में इतना आगे जाएगी कि सनातन के इतिहास में वह एकमेवाद्वितीय सिद्ध होगी ।’’ आगे चलकर वर्ष २०१४ में चेन्नई, तमिलनाडु के पू. डॉ. ॐ उलगनाथन्जी ने ईश्वरीय प्रेरणा से सनातन संस्था के लिए सप्तर्षि जीवनाडी-पट्टिका का वाचन आरंभ किया । जीवनाडी-पट्टिका के माध्यम से उच्च लोक के महर्षि सनातन का मार्गदर्शन करते हैं । इसके अंतर्गत वर्ष २०१६ से महर्षि ने अभी तक अनेक बार श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के असामान्य अधिकारों को लेकर गौरवोद्गार व्यक्त किए हैं । उदाहरण के लिए एक आशीर्वाद इस प्रकार है – तिथि ३०.५.२०१६ को किए जीवनाडी-पट्टिका के वाचन के अनुसार सप्तर्षि कहते हैं, ‘हे उत्तरापुत्री (श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी), आप श्री महालक्ष्मीदेवी की अंश हैं । इस कारण आपको किसी बात का अभाव नहीं होता । आनेवाले समय में आप सभी के लिए आदर्श होंगी ।’

टिप्पणी – श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी सर्वत्र के साधकों की समस्याओं का समाधान कर साधना में उत्तम पद्धति से उनका मार्गदर्शन करती हैं । उनके मार्गदर्शन तथा उनकी वाणी के चैतन्य के कारण अनेक साधकों की साधना सुचारू रूप से हो रही है तथा वे साधना में प्रगति कर रहे हैं ।

२. ‘सनातन की गुरुपरंपरा कितनी यथार्थ है’, इसकी प्रतीति देनेवाली श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी से संबंधित अनुभूतियां

‘प.पू. भक्तराज महाराजजी – प.पू. रामानंद महाराजजी – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी – श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी’, ये सनातन की गुरुपरंपरा हैं ।

सौभाग्यवश मेरे जीवन में एक-दो बार प.पू. भक्तराज महाराजजी के दर्शन का संयोग बना । उनके सान्निध्य में मुझे चंदन की सुगंध की अनुभूति होती थी । श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के संदर्भ में वर्ष २०२१ में मुझे हुई अनुभूति इस प्रकार है, एक बार आध्यात्मिक कारणों से मुझे होनेवाले कष्टों से मैं बहुत ही व्यथित था । उस समय मुझे श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी का स्मरण हुआ तथा उसी समय प.पू. भक्तराज महाराजजी के सान्निध्य में जैसे मुझे चंदन की सुगंध आती थी, वैसी ही सुगंध आई । (भविष्य में भी एक प्रसंग में ऐसा हुआ) उस समय प.पू. भक्तराज महाराजजी ने मानो मुझे बताया, ‘श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के रूप में मैं निरंतर तुम्हारे साथ हूं ।’ इससे मेरा मन आनंद से अभिभूत हो गया । इस प्रसंग से मुझे ‘सनातन की गुरुपरंपरा कितनी यथार्थ है’, इसकी प्रतीति हुई तथा ‘किसी भी कठिन समय में गुरुतत्त्व मेरे साथ ही है’, मेरी यह श्रद्धा भी दृढ हुई ।

श्रीविष्णुस्वरूप मोक्षदाता सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी, श्री महालक्ष्मी देवीस्वरूप श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्री सरस्वती देवीस्वरूप श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी,  हम सभी साधकों में ये तीनों गुरु सूक्ष्म रूप में विद्यमान हैं ! इसलिए हमें मोक्ष, धनसंपदा एवं ज्ञान की चिंता नहीं करनी है; क्योंकि वह तो हमें मिलेगा ही ! इसके लिए हमारे अंदर उनके प्रति केवल उस प्रकार का भाव होना चाहिए । ‘हम साधकों में उस प्रकार का भाव शीघ्र जागृत हो’, तीनों गुरुओं के चरणों में यही प्रार्थना है !’

– (पू.) संदीप आळशी   (२०.९.२०२३)