SANATAN PRABHAT EXCLUSIVE : महाराष्ट्र में शीघ्र गति न्यायालयों में यौन-उत्पीडनों के १ सहस्र २१९ अभियोग प्रलंबित !
– श्री. प्रीतम नाचणकर, मुंबई
मुंबई, २६ सितंबर (समाचार.) – बदलापुर यौन उत्पीडन के प्रकरण में अपराधी अक्षय शिंदे पुलिस मुठभेड में मारा गया । तदनंतर विपक्ष दल के कुछ नेताओं ने आरोप लगाते हुए प्रतिक्रिया दी है, ‘पुलिस ने यह मुठभेड जानबूझकर की है, अपराधी को न्यायालय से दंड मिलना चाहिए था ।’ प्रत्यक्ष में महाराष्ट्र में द्रुतगति न्यायालयों में ही इससे पूर्व हुए यौन उत्पीडन के पूरे १ सहस्र २१९ अभियोग न्याय मिलने हेतु प्रलंबित हैं । उनमें बलात्कार के ६५, तो पॉक्सो कानून के अंतर्गत ९०१ अभियोग समाहित हैं । ३१ जुलाई, २०२४ तक की यह महाराष्ट्र के यौन उत्पीडन के अभियोगों की स्थिति मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा सूचना के अधिकार के अंतर्गत दैनिक ‘सनातन प्रभात’ के प्रतिनिधि श्री. प्रीतम नाचणकर को प्राप्त हुई है ।
SANATAN PRABHAT EXCLUSIVE
1,219 cases of sexual assault pending in fast track Courts in Maharashtra.
▫️210 cases awaiting hearing between 1 to 5 years.
👉 The whole point of having fast track courts is to provide speedy justice to the victims. Considering this mind boggling… pic.twitter.com/1pVRm8XPsN
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) September 26, 2024
न्यायमूर्तियों की अनुपलब्धता !
केंद्र सरकार ने ‘नैशनल मिशन फॉर सेफ्टी ऑफ वूमन’ नामक अभियान के अंतर्गत वर्ष २०११ में महिला एवं बालकों के संदर्भ में प्रलंबित अभियोग तुरंत सुनवाई होने हेतु देश में कुल १ सहस्र २३ द्रुतगति न्यायालयों को मान्यता दी थी । इनमें महाराष्ट्र में कुल १३८ द्रुतगति न्यायालयों को मान्यता दी गई है; परंतु न्यायमूर्तियों की अनुपब्धता के कारण द्रुतगति न्यायालयों की संख्या बढा नहीं सकते, ऐसी महाराष्ट्र की स्थिति है । इस कारण द्रुतगति से न्याय मिलने हेतु स्थापन किए गए न्यायालयों में सैकडों अभियोग प्रलंबित रहकर इन न्यायालयों में अभियोगों की सुनवाई धीमी गति से चल रही है ।
महाराष्ट्र में केवल ९ द्रुतगति न्यायालय कार्यरत !
द्रुतगति न्यायालय के अंतर्गत अल्पायु बालिकाओं पर अत्याचारों के विषय में अभियोग लडने हेतु महाराष्ट्र में कुल ३० न्यायालयों को मान्यता दी गई है । प्रत्यक्ष में २१ सितंबर, २०२४ तक महाराष्ट्र के न्यायालयों की स्थिति को देखते हुए राज्य में केवल ९ द्रुतगति न्यायालय कार्यरत हैं । न्यायमूर्तियों की उपलब्ता के अनुसार प्रत्येक माह में द्रुतगति न्यायालय की संख्या परिवर्तित होती है; परंतु पिछले अनेक माहों से महाराष्ट्र के द्रुतगति न्यायालयों की संख्या ५ से ९ तक ही सीमित हैं । बलात्कार की बढ रही घटनाएं एवं द्रुतगति न्यायालयों की अत्यल्प संख्या के कारण अभियोगों के निर्णयों पर परिणाम हो रहा है ।
१ से ५ वर्षों तक प्रलंबित हैं २१० अभियोग !
द्रुतगति न्यायालयों में यौन उत्पीडन के पॉक्सो कानून के अंतर्गत १ से ५ वर्षों तक के प्रलंबित अभियोगों की संख्या जुलाई २०२४ में २१० थी । महाराष्ट्र के द्रुतगति न्यायालयों में अभियोगों पर सुनवाई की मात्रा १४ से ३० प्रतिशत तक है । प्रत्येक माह की कार्यवाही के अनुसार इन आंकडों में परिवर्तन होता है ।
अक्षय शिंदे की पुलिस मुठभेड में मौत, जनता के द्वारा समर्थन इसीलिए !बलात्कारी अक्षय शिंदे पुलिस मुठभेड में मारा गया । यह समाचार वाट्सएप, एक्स, इन्स्टाग्राम आदि भिन्न भिन्न सामाजिक माध्यमों से प्रसारित किया गया। इन सभी माध्यमों पर जनता द्वारा उत्स्फूर्तता से व्यक्त की हुई प्रतिक्रियाओं का ब्योरा लेने से देखा गया है कि अक्षय शिंदे मुठभेड में मारा गया, इस घटना का लोगों ने बडी मात्रा में समर्थन किया है । महाराष्ट्र के द्रुतगति न्यायालयों में बलात्कारों के प्रलंबित अभियोगों की संख्या को देखते हुए ‘जनता के द्वारा अक्षय शिंदे की पुलिस मुठभेड में मौत का समर्थन क्यों किया जा रहा है ’, इसका उत्तर मिलेगा । बलात्कार से संबंधित महाराष्ट्र के प्रलंबित अभियोगों की भांति देश की स्थिति भी अलग नहीं है । इस कारण भविष्य में बलात्कारों के प्रलंबित अभियोग यथाशीघ्र निर्णय कर अपराधियों को समय के रहते ही दंड नहीं हुआ, तो न्यायतंत्र पर रहे विश्वास को दरारें पड़ेंगी, साथ ही नागरिकों में भी असंतोष बढने की संभावना अस्वीकार नहीं कर सकते । |
संपादकीय भूमिका
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