तिरुपति का प्राणियों की चरबीयुक्त प्रसाद ग्रहण किए श्रद्धालुओं को प्रायश्चित करना संभव होगा !
काशी विद्वत कर्मकांड परिषद ने घोषित किया प्रायश्चित !
वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डुओं के प्रसाद में प्राणियों की चरबी पाई जाने के कारण हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं । जिन श्रद्धालुओं ने प्रसाद का सेवन किया, उन्हें चिंता प्रतीत होने लगी है । इस संदर्भ में काशी विद्वत कर्मकांड परिषद ने भक्तों को अभक्ष्य (जो पदार्थ ग्रहण करना अनुचित है) प्रसाद ग्रहण करने के कारण प्रायश्चित करने के लिए कहा है । काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के भूतपूर्व अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने कहा कि जिन के मन में अपराधी भावना है, उनको अभक्ष्य प्रसाद खाकर उन्होंने किए पाप का प्रायश्चित करना चाहिए । काशी विद्वत कर्मकांड परिषद भक्ताें को प्रायश्चित करने में सहायता करेगी । प्रायश्चित की मूल देवता नारायण है । तिरुपति नारायण है । भगवान विष्णु अथवा शालिग्राम की प्रतिष्ठापना करने से सभी की प्रायश्चित्त विधियां पूरी होगी । जिन लोगोंने प्रसाद ग्रहण किया है, वे पंचगव्य प्राशन करें । इसके लिए गायत्री मंत्र से गोमूत्र, गंधक के साथ इति मंत्र से गोमय, अप्ययश्वसमेति मंत्र के साथ गाय का दूध, दधिकाग्रे मंत्र के साथ गाय का दधी, इजोसी मंत्र के साथ गोघृत, देवस्वत्व मंत्र के साथ गंगाजल अथवा कोई भी प्रादेशिक नदी का जल लेकर उसे अभिमंत्रित करें । तत्पश्चात यत्वात्वागस्तिगतम् पाप…’ श्लोक के उपरांत १२ बार ओम कहते हुए पंचगव्य प्राशन करेंं । विद्वत परिषद शीघ्र ही प्रायश्चित हवन के लिए पत्र प्रसारित करेगी ।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शीघ्र ही शास्त्र के अनुसार प्रायश्चित घोषित करेंगे ।
ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि अनेक हिंदू हम से संपर्क कर रहे हैं तथा प्रश्न उपस्थित कर रहे हैं कि उस कालावधि में हमने भी तिरुपति के लड्डू खाए, यह जान कर ‘क्या हम भ्रष्ट हुए हैं ? यदि ‘हां’ तो इस पर प्रायश्चित क्या है ?’, भावनाओं के शुद्धिकरण के लिए हम धर्मशास्त्रज्ञों से विचारविमर्श कर शास्त्र के अनुसार प्रायश्चित घोषित करेंगे ।