Bangladeshi infiltration : माहभर में ५० सहस्र (हजार) बांग्लादेशियों का भारत में प्रवेश !
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सिल्हेट (बांग्लादेश) – बांग्लादेश के एक युवक हिन्दू नेता ने अपना मत रखते हुए कहा, ‘हम बांग्लादेशी हिन्दू हमारी दयनीय स्थिति शब्दों में कह नहीं सकते । हम पर भिन्न प्रकार के संकट आ रहे हैं । पिछले माहभर में पूरे ५० सहस्र बांग्लादेशियों ने अपने ही कट्टरतावादी मुस्लिमों के द्वारा आक्रमण होंगे, इस भय से भारत में पलायन किया है । इसमें अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ नेता, साथ ही आवामी लीग पार्टी के कार्यकर्ता तथा ‘अन्सारुल्ला बांग्ला टीम’ नामक आतंकवादी संगठन के सदस्य समाहित हैं । भारत-बांग्लादेश सीमा अत्यंत अक्षम होने का ही इससे उजागर होता है ।’ वे ‘सनातन प्रभात’ के प्रतिनिधि से वहां के हिन्दुओं की दुःस्थिति के विषय में ऐसा बोल रहे थे । (बांग्लादेश में हिन्दुत्व के लिए लडनेवाले हिन्दू नेताओं का प्राकृतिक स्थान भारत ही है; परंतु वहां के हिन्दुद्वेषी मुसलमान नेता एवं आतंकवादियों को भी भारत में आश्रय मिलना, यह अक्षम्य है ! इसके लिए किसको उत्तरदायी मानें ? – संपादक)
इस नेता द्वारा प्रस्तुत महत्त्वपूर्ण सूत्र !
१. मेरा बडा भाई हिन्दुत्वनिष्ठ संवाददाता है तथा प्राण बचाने के लिए वह कुछ वर्षों से असम के गुवाहाटी में रह रहा है । उसे हम मिल भी नहीं सकते ।
२. आवामी लीग के उत्तर सुनामगंज के हिन्दू सांसद रणजीत चंद्र सरकार को मार डालने की धमकियां आ रही थीं, इसलिए उन्होंने बांग्लादेश छोडकर कबका पलायन किया है ।
३. कोमिला के आवामी लीग का सांसद बहाउद्दीन बहार भी कोलकाता में रहता है तथा उसने पिछले वर्ष दुर्गादेवी के उत्सव की निंदनीय आलोचना की थी । उसने कहा था कि दुर्गा उत्सव अर्थात मदिरा का उत्सव ।
४. आज जमात-ए-इस्लामी एवं ‘अन्सारुल्ला बांग्ला टीम’ के आतंकी भारत के गुवाहाटी, कोलकाता, साथ ही मेघालय में छुप कर बैठ गए हैं ।
५. बांग्लादेश के पुलिस खाते में हिन्दू समुदाय के वरिष्ठ पद पर रहे अधिकारियों को निलंबित करने के कारण ढूंढे जा रहे हैं । इस माध्यम से बांग्लादेश के हिन्दुओं को विवश करने का प्रयास किया जा रहा है ।
बांग्लादेश के हिन्दू भारत के ही प्रतिनिधि !
इस समय नेता ने अनुरोध करते हुए कहा, ‘भले ही हम बांग्लादेशी हिन्दू हैं, तब भी आखिर हम भारत का ही प्रतिनिधित्व कर रहे हैं । हम भारत के साथ ही हैं । हमारे विरुद्ध षड्यंत्र रचे जा रहे हैं । हमारे लिए आवाज उठाएं, अन्यथा भारत के लिए ही यह बडा सिरदर्द होगा ।’
संपादकीय भूमिका
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