भावसत्संग सुनने से व्यक्ति की सूक्ष्म ऊर्जापर (‘ऑरा’ पर) सकारात्मक परिणाम होते हैं !
‘वर्ष २०१६ से सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शन में सनातन के साधकों के लिए राष्ट्रीय स्तर के भावसत्संग आरंभ किए गए हैं । सप्ताह में एक बार (प्रति गुरुवार) लिए जानेवाले इस भावसत्संग में आध्यात्मिक कथाएं तथा उनका भावार्थ बताया जाता है । सनातन की भाव रखनेवाली साधिकाएं यह भावसत्संग लेती हैं । भावसत्संग में भावजागृति हेतु कैसे प्रयास करने चाहिए ? साधना बढाने हेतु कौन से प्रयास करने चाहिए ?, इस संदर्भ में मार्गदर्शन भी किया जाता है । इन भावसत्संगों के कारण अनेक साधकों को साधना में सहायता मिली है । ‘भावसत्संग लेना अथवा उसे सुनना, साधकों में व्याप्त सूक्ष्म ऊर्जा पर (‘ऑरा’ पर) इसके क्या परिणाम होते हैं ?, वैज्ञानिक दृष्टि से इसका अध्ययन करने हेतु एक परीक्षण किया गया । इस परीक्षण के लिए ‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर’ उपकरण का उपयोग किया गया । इस उपकरण से वस्तु, वास्तु एवं व्यक्ति में व्याप्त सकारात्मक एवं नकारात्मक ऊर्जाओं की गणना की जाती है ।
१. परीक्षण में की गई प्रविष्टियों का विवेचन
इस प्रयोग में भावसत्संग लेनेवाली २ साधिकाएं तथा भावसत्संग सुननेवाले ४ साधक-साधिकाओं ने भाग लिया था । भावसत्संग से पूर्व तथा भावसत्संग के उपरांत ‘युनिवर्सल ऑरा स्कैनर’, से इन सभी के परीक्षण किए गए । उसमें की गई प्रविष्टियां आगे दी गई हैं –
उक्त प्रविष्टियों से निम्न सूत्र ध्यान में आते हैं –
अ. भावसत्संग सुनने के उपरांत तीव्र आध्यात्मिक कष्ट से ग्रस्त साधिकाओं में व्याप्त नकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल नष्ट होकर उनकी सकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल बढ गया ।
आ. भावसत्संग सुनने के उपरांत आध्यात्मिक कष्ट रहित साधकों में व्याप्त सकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल बढ गया ।
इ. भावसत्संग लेनेवाली साधिकाओं में सकारात्मक ऊर्जा बहुत बढ गई ।
निष्कर्ष : ‘भावसत्संग सुनने से व्यक्ति की सूक्ष्म ऊर्जा पर सकारात्मक परिणाम होते हैं’, इससे यह स्पष्ट हुआ ।
२. परीक्षण की प्रविष्टियों का अध्यात्मशास्त्रीय विश्लेषण
२ अ. भावसत्संग सुनने के परीक्षण का सभी पर (उनकी सूक्ष्म ऊर्जा पर) सकारात्मक परिणाम होने का कारण : भावसत्संग में लिए जानेवाले विषय साधना के लिए प्रोत्साहन देनेवाले होते हैं । भावसत्संग में बताई जानेवाली आध्यात्मिक कथाओं से श्रोताओं की अंतर्मुखता बढती है तथा उनके मन में ईश्वर के प्रति भक्तिभाव जागृत होता है । इस भावसत्संग से भाव, चैतन्य एवं आनंद के स्पंदन प्रक्षेपित हुए । उसके कारण परीक्षण में सहभागी सभी के चारों ओर सात्त्विक स्पंदनों का वृत्त तैयार हुआ । भावसत्संग सुनने से पूर्व जिनमें नकारात्मक ऊर्जा थी, वह नष्ट हो गई तथा सभी में सकारात्मक ऊर्जा बढ गई ।
२ आ. भावसत्संग लेनेवाली साधिकाओं में व्याप्त सकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल बडे स्तर पर बढने का कारण : भावसत्संग लेनेवाली साधिकाओं में मूल रूप से ईश्वर के प्रति भाव है । इन दोनों ने भावपूर्ण पद्धति से राष्ट्रीय स्तर पर भावसत्संग लेने की सेवा करने के कारण उनमें व्याप्त सकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल बडे स्तर पर बढ गया ।
संक्षेप में कहा जाए, तो ‘व्यक्ति के द्वारा भक्तिभाव उत्पन्न करनेवाले भावसत्संग सुनना उसके लिए आध्यात्मिक दृष्टि से लाभकारी हैं’, इस परीक्षण से यह स्पष्ट हुआ ।’
– श्री. गिरीश पंडित पाटील, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा. (२.७.२०२४)
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