कुशलता से अनेक सेवाएं करनेवाले मथुरा के हिन्दू जनजागृति समिति के ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त श्री. श्रीराम लुकतुके !
‘श्री. श्रीराम लुकतुके (आयु ४३ वर्ष) अनेक गुणों से संपन्न एक व्यक्तित्व है । उनके साथ सेवा करते समय मुझे प्रतीत हुई उनकी गुणविशेषताएं यहां दे रहा हूं ।
१. सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी से मार्गदर्शन लेकर स्वयं में परिवर्तन लाना
वर्ष २०१७ में श्रीराम भैया सेवा के लिए देहली आए । उस समय उनकी शारीरिक स्थिति अच्छी नहीं थी । उन्हें ‘कमरदर्द, प्राणशक्ति न्यून होना’ जैसे कष्ट होते थे । थोडीसी शारीरिक सेवा करने पर भी वे तुरंत थक जाते थे तथा उनका अधिकांश समय विश्राम करने में ही व्यतीत होता था । उसके उपरांत उन्होंने सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी से मार्गदर्शन लेकर स्वयं में बहुत परिवर्तन किए । पहले की तुलना में अब उनकी क्षमता बहुत बढ गई है ।
२. समय का पालन
‘समय का पालन’ श्रीराम भैया का एक विशेष गुण है । बाहर कहीं भी संपर्क के लिए जाना हो, भैया तुरंत तैयार होते हैं । उस समय उनके मन में ‘मुझसे विलंब न हो’, यह विचार होता है ।
३. अन्यों की सहायता करना
सेवाकेंद्र में कोई बीमार हो अथवा रात में किसी को कष्ट हो, तो भैया तुरंत उनकी सहायता करते हैं ।
४. कुशलता से अनेक सेवाएं करना
कभी-कभी भैया की शारीरिक स्थिति अच्छी नहीं होती; परंतु तब भी वे भ्रमण के लिए जाते समय ६-६ घंटे गाडी चलाना, वहां का समन्वय देखना तथा सभी प्रविष्टियां रखना इत्यादि सेवाएं कुशलता से करते हैं ।
५. साधना के उचित दृष्टिकोण देना
मैं जब मेरे मन के विचार भैया को बताता हूं, उस समय भैया मुझे साधना के उचित दृष्टिकोण देकर ‘कैसे विचार करना चाहिए ?’, यह बताकर अंतर्मुख बनाते हैं ।
६. स्वयं की चूकें तथा अनुचित विचार खुले मन से अन्य साधकों को बताना
पहले सेवा करते समय भैया से चूकें होती थी, उस समय वे साधकों के ‘वॉट्सएप’ समूह में अपनी चूकें खुले मन से भेजते थे । केवल चूकें ही नहीं, अपितु भैया ने अनिष्ट शक्तियों के कारण उनके मन में आनेवाले अनुचित विचार, नकारात्मक विचार तथा व्यष्टि साधना के विषय में उनके अनुचित दृष्टिकोण भी वॉट्सएप समूह पर भेजे हैं । साधक भैया से सीखकर उनके अनुकरण का प्रयास कर रहे हैं । भैया ने स्वयं अंतर्मुख रहकर अपनी कृतियों से समष्टि को भी सिखाया है ।
७. प्रसिद्धि से संबंधित सेवाएं प्रभावी रूप से करना
प्रशासन को कोई ज्ञापन अथवा पत्र देना हो, तो उसका संकलन करना, अंग्रेजी भाषा में उसका ‘ड्राफ्टिंग’ करना तथा सामाजिक माध्यमों पर उन्हें उचित पद्धति से ‘प्रसारित करना’, इन कृतियों से भैया के गुणों का एक विशेष अंश ध्यान में आता है ।
८. उत्तम संपर्क कौशल होने से अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ व्यक्तियों तक धर्मकार्य पहुंचना
श्रीराम भैया ने ‘सोशल मिडिया’ के माध्यम से समाज के अनेक बुद्धिजीवियों, हिन्दुत्वनिष्ठों तथा प्रतिष्ठित लोगों से अच्छा संपर्क बनाए रखा है । उसका उपयोग हमें जिज्ञासुओं से संपर्क करने हेतु हो रहा है, साथ ही ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ के उपलक्ष्य में देश-विदेश के अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ तथा प्रतिष्ठित मान्यवर रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम का अवलोकन करने आए थे । इस माध्यम से श्रीराम भैया ‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का कार्य सर्वत्र पहुंचाने का माध्यम बन गए हैं’, यह मेरे ध्यान में आया ।
‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी, ‘श्रीराम भैया में अनेक गुण हैं । मुझे उनके साथ सेवा करने का अवसर मिला, इसके लिए मैं आपके चरणों में कोटि-कोटि कृतज्ञता व्यक्त करता हूं तथा ‘श्रीराम भैया की प्रगति इसी प्रकार से शीघ्रता से होती रहे’, यह आपके चरणों में प्रार्थना करता हूं ।’
– श्री. कार्तिक साळुंके, मथुरा, उत्तर प्रदेश (जुलाई २०२४)