Production Moved to China : (और इनकी सुनिए …) ‘भारत में बेरोजगारी सबसे बडी समस्या है, जबकि चीन लगातार रोजगार में वृद्धि कर रहा है !’ – राहुल गांधी
अमेरिका जाकर राहुल गांधी ने की चीन की प्रशंसा !
डलास (अमेरिका) – राहुल गांधी ने अपने तीन दिवसीय अमेरिकी प्रवास के आरंभ में चीन की जमकर प्रशंसा की तथा विश्व की नई उभरती शक्ति भारत की कमियां बताईं। यहां टेक्सास यूनिवर्सिटी में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विपक्ष के नेता गांधी ने कहा कि अब बेरोजगारी की समस्या यूरोप एवं अमेरिका में भी बढ रही है । भारत में भी बेरोजगारी सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण समस्या है; लेकिन चीन को ऐसी कोई समस्या नहीं है । चीन लगातार रोजगार बढ़ा रही है। रोजगार के नए अवसर पैदा कर रहा है ।भारत ने विनिर्माण क्षेत्र पर ध्यान नहीं दिया है । इसके कारण आज बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। गांधी ने कहा, यदि भारत अपनी अर्थव्यवस्था को दृढ करना चाहता है और बेरोजगारी से लड़ना चाहता है, तो उसे विनिर्माण क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना होगा। राहुल गांधीजी का भाषण ८ सितंबर को भारतीय समयानुसार दोपहर १ बजे दिया गया था ।
गांधी ने आगे कहा,
१. यह मेरा कर्तव्य है कि मैं सरकार को हर समय जवाबदेह ठहराऊं, संसद में सरकार का विरोध करूं और तानाशाही नहीं चलने दूं।
२ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सोचता है, ‘भारत एक विचार है’ और हम सोचते हैं, ‘भारत अनेक विचारों का देश है!’ उन्हें उनकी जाति,भाषा,धर्म और परंपरा से परे स्थान दिया जाना चाहिए। (राहुल गांधी को पहले १०० करोड हिंदुओं की बात सुननी चाहिए और तत्कालीन कांग्रेसी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के उस बयान के लिए क्षमा मांगनी चाहिए जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘इस देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है’! – संपादक)
३. २०२४ के लोकसभा चुनाव में भारत के करोड़ों लोगों को अनुभव हुआ कि प्रधानमंत्री मोदी भारत के संविधान पर आघात कर रहे हैं । (यदि हां, तो ऐसा कैसे हुआ कि भाजपा उसी चुनाव में जीत गई और कांग्रेस की करारी हार हुई ? – संपादक)
४. जब मैं संविधान की बात करता था तो लोग समझते थे कि मैं क्या कह रहा हूं। वे कह रहे थे कि बीजेपी हमारी परंपरा और राज्यों पर आघात कर रही है ।
५. लोगों का भाजपा से भय समाप्त हो गया है। चुनाव परिणामों के तुरंत बाद हमने देखा कि भारत में कोई भी भाजपा या भारत के प्रधानमंत्री से नहीं डरता है। तो यह एक बड़ी सफलता है । (कांग्रेस सांसदों की तिगुनी संख्या तक भी नहीं पहुंच सकी। यदि वे इसे सफलता कहें तो अब हम इसे क्या कहें ? – संपादक)
संपादकीय भूमिका
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