भारत के तत्कालीन २ प्रधानमंत्री और १ राजदूत के कारण भारत के सैकडों गुप्तचर पाकिस्तान और ईरान में मारे गए !

‘इंडिया टी.वी.’ के कार्यक्रम में पत्रकार, निवृत्त सेना अधिकारी और विशेषज्ञ का गंभीर आरोप !

कॉफी पर कुरुक्षेत्र’ इस कार्यक्रम में पत्रकार प्रदीप सिंह, विदेशी नीति के विशेषज्ञ वैभव सिंह और मेजर गौरव आर्य (निवृत्त)

नई देहली – भारत के २ प्रधानमंत्री और १ उपराष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल के समय पाकिस्तान को भारत की गुप्तचर संस्था ‘राॅ’ के पाकिस्तान और ईरान देश में रह रहे हैंडलरों के नाम इन देशों को उपलब्ध कराने से इन हैंडलरों की वहां हत्या की गई, ऐसा दावा इंडिया टी.वी. इस हिंदी समाचार चैनल पर ‘कॉफी पर कुरुक्षेत्र’ इस कार्यक्रम में मेजर गौरव आर्य (निवृत्त), पत्रकार प्रदीप सिंह और विदेशी नीति के विशेषज्ञ वैभव सिंह ने बोलते समय किया ।

इस चर्चा में इन तीनों ने जानकारी देते समय दावा किया कि,

१. पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल इन दोनों ने ईरान और पाकिस्तान में कार्यरत भारतीय गुप्तचरों के नाम और पते सहित संपूर्ण जानकारी इन देशों को दी थी, परिणाम यह हुआ कि सभी गुप्तचर मारे गए । भारतीय गुप्तचर संस्था अभी भी इस घटना से पूर्णरूप से उबरी नहीं है ।

२. गुजराल के प्रधानमंत्री रहते उन्होंने पाकिस्तान को पत्र लिखकर वहां के भारतीय गुप्तचरों के नाम और पते पाकिस्तान को दिए । इस कारण वे सभी मारे गए ।

३. हामिद अंसारी ने ईरान का राजदूत रहते वहां भारतीय हैंडलरों की जानकारी ईरान को दी थी । इस कारण वे सभी गुप्तचर मारे गए ।

४. पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के विषय मे भारतीय गुप्तचरों द्वारा बहुत कठिन प्रयासों से इकट्ठा की गई संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान के राज्यकर्ताओं को बताई थी । इसका परिणाम ऐसा हुआ कि पाकिस्तान में कार्यरत भारत के हैंडलर पाकिस्तान ने मार दिए । यदि ऐसा नहीं होता, तो पाकिस्तान परमाणु बम नहीं बना सकता था ।

५. इसके अतिरिक्त वर्ष २००९ में इजिप्ट के शर्म अल शेख शहर में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ‘भारत पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हस्तक्षेप कर रहा है’, ऐसी स्वीकृति दी थी । इस कारण ही पाकिस्तान ने बाद में कहा था कि, ‘आप (भारत) हमारे ऊपर कश्मीर में अशांति फैलाने का आरोप लगाते हैं और बलूचिस्तान में आप वही करते हैं ।’ स्वतंत्रता के उपरांत इससे बडी चूक कदाचित दूसरी कोई भी नहीं हुई होगी ।

संपादकीय भूमिका 

यह आरोप इसके पहले भी अलग-अलग व्यक्तियों की ओर से किया गया था । इस ओर ध्यान देकर सरकार को सभी साक्ष्य जनता के सामने लाने चाहिए तथा इन तीनों को देशद्रोही घोषित कर इतिहास में इसकी प्रविष्टि भी करनी चाहिए, जिससे आगे की पीढियों को इसकी जानकारी मिल सके, अन्यथा देश ऐसों को महान ही समझता रहेगा !