Marathi Bhasha : ३० से अधिक स्मरणपत्र ; परंतु ११ वर्ष उपरांत भी मराठी अभिजात भाषा के दर्जे से वंचित !

फाॅलोअप के लिए समिति स्थापित करने का समय !

श्री. प्रीतम नाचणकर, मुंबई

मुंबई, ५ सितंबर (वार्ता.) – मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा प्राप्त हो, इसके लिए भेजी गई अर्जी पर क्या कार्यवाही हुई ?, इसकी जानकारी मिले, इसलिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से लेकर मराठी भाषामंत्री, मुख्य सचिव, प्रधान सचिव आदि ने केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय को पिछले ११ वर्षों में ३० से अधिक पत्र भेजे हैं । मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा मिले, इसके लिए वर्ष २०२० में विधानसभा और विधान परिषद में प्रस्ताव पारित कर इसे भी भेजा गया है; लेकिन इतने वर्षों में केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय ने इसका उत्तर नहीं दिया । इस कारण मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा प्राप्त होने के लिए भेजी गई अर्जी का क्या हुआ , इसका केंद्र सरकार से फॉलोअप लेने के लिए महाराष्ट्र सरकार पर समिति स्थापित करने का समय आ गया है ।

१. केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय को अनेक स्मरणपत्र भेजने पर भी इसका प्रतिसाद (रिस्पांस) न मिलने के कारण महाराष्ट्र के कुछ सांसदों ने मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा मिले, इसके लिए संसद में भी आवाज उठाई ।

२. इस पर केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्री ने ‘प्रस्ताव विचाराधीन है’, यह उत्तर दिया; लेकिन ‘विचाराधीन है’, अर्थात क्या , यह महाराष्ट्र को अभी भी नहीं समझ में आया है । मराठी भाषा अभिजात भाषा का दर्जा पाने के योग्य नहीं या महाराष्ट्र सरकार द्वारा भेजी गई अर्जी में कुछ त्रुटि है ? वास्तविक रुप से कार्यवाही कहां रुकी है, इसके लिए वर्तमान स्थिति में भी महाराष्ट्र सरकार के पास कोई उत्तर नहीं ।

बैठकों से कुछ भी निष्पन्न नहीं ! 

महाराष्ट्र सरकार द्वारा फरवरी २०२४ में ‘अभिजात मराठी भाषा फॉलोअप समिति’ की पूना और मुंबई में २ बैठकें हुई हैं । जिसमें केंद्र में कार्यरत महाराष्ट्र के अधिकारियों से संपर्क कर उनकी बैठक और इसके उपरांत केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्री से भेंट करने का निर्णय लिया गया । अप्रैल और मई माह में ये बैठकें होने पर भी प्रत्यक्ष में न अधिकारियों से संपर्क करने की कार्यवाही आरम्भ हुई है, न केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्री से मिलने का समय लिया गया है । इतना ही नहीं, बल्कि इन बैठकों की इतिवृत्ति भी मराठी भाषा विभाग को नहीं भेजी गई ।

अगले माह केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्री से भेंट करेंगे ! – श्यामकांत देवळे, सदस्य सचिव, ‘अभिजात मराठी भाषा फॉलोअप समिति’

महाराष्ट्र सरकार की ओर से भेजी गई अर्जी में कुछ त्रुटि है क्या ? इस विषय में केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय की ओर से अधिकृत कोई भी जानकारी प्राप्त नहीं हुई । इस विषय में जानकारी लेने के लिए ‘अभिजात फॉलोअप समिति’ द्वारा अगले माह केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्री से भेंट करने वाले हैं, ऐसी जानकारी अभिजात मराठी भाषा फाॅलोअप समिति के सदस्य सचिन श्यामकांत देवळे ने दैनिक ‘सनातन प्रभात’ को दी । दैनिक ‘सनातन प्रभात’ के प्रतिनिधि ने इस विषय में मराठी भाषा विभाग के अधिकारियों से संपर्क करने पर ‘मराठी भाषा विभाग की ओर से केंद्र सरकार से नियमित संपर्क चल रहा है’, ऐसा बताया गया ।

ब्योरा कब प्रस्तुत हुआ ?

वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. रंगनाथ पठारे की अध्यक्षता में स्थापित किए गए मराठी भाषा विशेषज्ञ शोधकर्ताओं की समिति ने मराठी भाषा का प्राचीन कालखंड, उसके विषय में साक्ष्य इस विषय में बनाया १२८ पृष्ठों का ब्योरा १२ जुलाई ,२०१३ को महाराष्ट्र सरकार की ओर से केंद्र सरकार को भेजा गया । महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठी भाषा का प्राचीन संदर्भ, प्राचीन ग्रंथ, पुरातन काल के ताम्रपट, शिलालेख आदि का संदर्भ सहित ब्योरा दिया गया है । ‘अभिजात भाषा का दर्जा प्राप्त होने के लिए भाषा कम से कम डेढ सहस्र वर्ष प्राचीन होनी चाहिए’, ऐसा एक आधार है ।

अभिजात भाषा का दर्जा प्राप्त होने पर क्या होगा ? अभिजात भाषा का दर्जा प्राप्त होने पर मराठी भाषा का अध्ययन, शोध और साहित्य संग्रह यह केंद्र सरकार की ओर से किया जाएगा । भारत के ४५० विश्वविद्यालयों में मराठी पढने की सुविधा चालू की जाएगी । मराठी भाषा के प्राचीन ग्रंथो का विविध भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा । महाराष्ट्र के सभी सरकारी ग्रंथालयों के उत्कर्ष के लिए केंद्र सरकार की ओर से आर्थिक सहायता प्राप्त होगी । मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा प्राप्त होने पर कौन से लाभ होंगे, इस विषय की उपर्युक्त जानकारी महाराष्ट्र सरकार की वेबसाइट पर मराठी भाषा विभाग की ओर से दी गई है । भारत में अभी तक संस्कृत, तमिल, कन्नड, तेलुगू, मलयालम और उडीसा इन ६ भाषाओं को अभिजात भाषा का दर्जा प्राप्त हुआ है ।