Delhi High Court : आपको भारत पसंद नहीं, तो अपना व्यवसाय बंद करें ! – देहली उच्च न्यायालय
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नई देहली – देहली उच्च न्यायालय ने न्यायालय का अपमान करने पर ‘विकिपीडिया’ संकेतस्थल को (वेबसाइट को) भारत में प्रबंधित करने की चेतावनी दी है । ‘यदि आपको भारत पसंद नहीं, तो आप यहां का अपना काम बंद करें’, ऐसे शब्दों में न्यायालय ने फटकार लगाई । भारत की समाचार संस्था ‘ए.एन.आई.’ ने विकिपीडिया पर २ करोड रुपए मानहानि का मुकदमा प्रविष्ट किया है । इस पर सुनवाई करते समय न्यायालय ने विकिपीडिया को दिए आदेश की उसके द्वारा कार्यवाही न करने से न्यायालय ने उपर्युक्त चेतावनी दी ।
‘Shut down your business here if you don’t like India. – Delhi High Court reprimands ‘Wikipedia’ for noncompliance with the order.
▫️Court further warns of a potential ban on the website.
👉 Following Court’s orders, such foreign websites should be actually banned. These are… pic.twitter.com/AUSsjXnDjh
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) September 5, 2024
१. इस प्रकरण में ५ सितंबर को हुई सुनवाई के समय न्यायालय ने ‘आदेश का पालन क्यों नहीं किया’, ऐसा पूछा, तब विकिपीडिया के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि, न्यायालय के आदेश के विषय में कुछ बातें न्यायालय के सामने रखनी थी, इसके लिए समय लगा; कारण विकिपीडिया का भारत में आधार नहीं है ।
२. इस पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए न्यायालय ने अपमान का अपराध प्रविष्ट करने की बात कही । न्यायालय ने कहा कि, विकिपीडिया (उसका कार्यालय) भारत में है या नहीं , यह प्रश्न नहीं, बल्कि न्यायालय के आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ ,यह महत्वपूर्ण है । हम यहां आपका व्यापारिक लेन-देन बंद करेंगे । हम सरकार को विकिपीडिया पर प्रतिबंध लगाने को कहेंगे । आप लोगों ने इसके पहले भी ऐसा ही तर्क किया था । आपको भारत पसंद नहीं, तो कृपया भारत में काम न करें ।
क्या है प्रकरण ?कुछ लोगों ने विकिपीडिया पर ए.एन.आई. के पृष्ठ संपादित कर आपत्तिजनक जानकारी शेयर की थी । ‘ए.एन. आई. का प्रयोग वर्तमान सरकार के प्रचार के लिए एक साधन के रूप में किया जाता है’, ऐसा संपादित मैटर में लिखा था, इसके विषय में ए.एन.आई. ने शिकायत प्रविष्ट की थी । न्यायालय ने विकिपीडिया को पृष्ठ संपादित करने वाले ३ लोगों की जानकारी देने का आदेश दिया था; परंतु विकिपीडिया ने आदेश का पालन नहीं किया । इस कारण ए.एन.आई. पुन: उच्च न्यायालय में पहुंचा और न्यायालय के आदेश का अपमान होने की बात कही । |
संपादकीय भूमिकाभारतीय न्यायालय के आदेश का पालन न करने वाले ऐसे विदेशी संकेतस्थलों पर (वेबसाइट पर) प्रतिबंध ही लगाना चाहिए । ऐसे संकेतस्थल (वेबसाइट) भारत और हिन्दू धर्म का अपमान करने का विषय अधिक प्रसारित करते रहते हैं ! |