Bangladesh : आंदोलन के नेता पाकिस्तानी और अमरिकी अधिकारियों से कतर में मिले थे !

  • बांग्लादेश में हुए सत्ता परिवर्तन के पीछे पाकिस्तान और अमेरिका, उजागर हुआ सत्य !

  • पाकिस्तान के गुप्तचर तंत्र आई.एस्.आई. पर था दायित्व !

ढाका (बांग्लादेश) – ‘नॉर्थ ईस्ट न्यूज’ के समाचार के अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्रों को बाहर से तथा भीतर से प्राप्त जानकारी के विविध पहलू एकत्र करने पर ऐसा पता चला है कि बांग्ला देशी छात्र संगठनों के ‘समन्वयक’ बने कुछ छात्रों ने पाकिस्तान, दुबई और कतर को अनेक बार भेंट दी थी । यहां पर छात्र नेताओं ने पाकिस्तान और अमेरिका के गुप्तचर एवं सुरक्षा अधिकारियों की भेंट की थी । इन छात्रों के नेतृत्व में बांग्ला देश में इस वर्ष हिंसक आंदोलन हुआ और इस कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना को त्यागपत्र देकर देश छोडकर भागना पडा ।

१. बांग्लादेश के छात्र आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले महंमद महफूज आलम को अंतरिम सरकार के प्रमुख महंमद युनूस को विशेष साहाय्यक के रुप में नियुक्त किया गया है । पीछले वर्ष विदेश में जाकर पाकिस्तानी और अमरिकी  अधिकारियों से मिले छात्रों में आलम भी था ।

२. पता चला है कि बांग्ला देश के गुप्तचर तंत्रों को कोई संदेह न हो; इसलिए छात्रों को अलग-अलग दिनों पर विदेश में जाने को कहा गया था ।

३. आई.एस्.आई. के एक निवृत्त लेफ्टनंट जनरल के पास बांग्ला देशी छात्रों से संपर्क रखने का काम सौंपा गया था । नकली नाम से काम करनेवाले इस सेवानिवृत्त जनरल ने पीछले वर्ष में अनेक बार बांग्लादेश को भेंट दी थी । वह अप्रैल से सितंबर २०२३ में दोहा (कतर) के एक होटल में बांग्ला देशी छात्रों के एक गुट से मिला था । अमेरिका का विदेश मंत्रालय और विशेष रुप से तत्कालीन राजदूत पीटर हास ‘निष्पक्ष चुनावों’ के लिए तत्कालीन शेख हसीना सरकार पर राजनीतिक दबाव ला रहा था, तब यह घटना हुई ।

४. दोहा के जिस होटल में बांग्ला देशी छात्र रहते थे, उसी होटल में कुछ अमरिकी नागरिक रुके थे । भारतीय सुरक्षा अधिकारियों को आशंका है कि उन्होंने छात्रों के साथ भी संवाद किया था ।

५.  आशंका है कि बांग्लादेश के सामाजिक विकास क्षेत्र के एक व्यावसायिक ने छात्रों के साथ दोहा में इस निवृत्त जनरल की भी भेट ली थी । यह व्यक्ति अब अंतरिम सरकार में महत्त्वपूर्ण पद पर है ।

६. भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञों ने बताया कि छात्रों की बैठक के बारे में कुछ जानकारी थी; परंतु हसीना की सरकार गिराने के षडयंत्र का वे अनुमान नही लगा सके । एका अधिकारी ने बताया कि हसीना को मई २०२४ में छात्रों तथा विद्यापिठों के अध्यापकों के साथ चल रहे अमरिकी षडयंत्र के बारे में सूचित किया गया था; परंतु वे भी षडयंत्र की गहराई को समझ नहीं पाई ।

संपादकीय भूमिका 

जो अभी तक बताया जा रहा था, वह सत्य था, यही इससे स्पष्ट होता है ! अमेरिका और पाकिस्तान भारत के भी शत्रु हैं । भारत के विरुद्ध भी वे षडयंत्र रच रहे हैं । इसलिए भारत को उनसे अधिक सतर्क रहने के साथही प्रत्युत्तर के रुप में इन देशों में भी कार्यवाहियां करना आवश्यक है । आक्रमण ही बचाव का प्रमुख अस्त्र है, यह ध्यान में रखना चाहिए !