(और इनकी सुनिए…) ‘जयदीप आपटे का ‘सनातन प्रभात’ से क्या संबंध है?, यह उनके साक्षात्कार से स्पष्ट है !’ – सुषमा अंधारे
उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट की सुषमा अंधारे ने किया बेसिर पैर का वक्तव्य
पुणे – जयदीप आपटे का ‘सनातन प्रभात’ से क्या संबंध है, यह उनके साक्षात्कार से स्पष्ट है, यह बात यहां उद्धव बालासाहेब ठाकरे समूह की नेता सुषमा अंधारे ने कही । वह एक पत्रकार परिषद में बोल रही थीं ।
४ दिसंबर २०२३ को भारतीय नौसेना दिवस के अवसर पर मालवन के राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की एक प्रतिमा स्थापित की गई थी । इस अवसर पर सनातन प्रभात के एक पत्रकार ने जयदीप आप्टे से मिले और उनका एक साक्षात्कार प्रकाशित किया । यह प्रतिमा २६ अगस्त २०२४ को ढह गई । इसके बाद अंधारे ने इस साक्षात्कार का संदर्भ देते हुए सनातन प्रभात की आलोचना की ।
१. पत्रकार परिषद में उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति डेढ़ फीट से अधिक ऊंची मूर्तियां नहीं खड़ा कर सकता, उसे इतना बड़ा कार्य क्यों दिया गया ? नितेश राणे और जयदीप आपटे को उनकी मित्रता के कारण सिंधुदुर्ग के मालवन में मूर्ति बनाने का दायित्व दिया गया ? यह नाता क्या बताता है ?
२. २८ अगस्त को ‘मालवण बंद’ प्रदर्शन के समय महाविकास अघाड़ी और बीजेपी नेता नारायण राणे के मध्य मौखिक झड़प हो गई और इससे वातावरण तनावपूर्ण हो गया । इसी पृष्ठभूमि पर उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट की सुषमा अंधारे ने पुणे में पत्रकार परिषद की ।
(और इनकी सुनिए) ‘क्या सनातन प्रभात को दिए साक्षात्कार में दिए गए उत्तर में आप्टे का कोई ‘एजेंडा’ छिपा था ?’
‘सनातन प्रभात’ को दिए गये साक्षात्कार के संदर्भ में राष्ट्रवादी कांग्रेस के अमोल मिटकरी का जातिवादी भाषण !
मुंबई – कृष्णाजी भास्कर कुलकर्णी ने छत्रपति शिवाजी महाराज पर लाठी से वार किया । इसमें महाराजा घायल हो गए । इस घाव के निशान वाली मूर्ति बनाकर आप्टे क्या कहना चाहते थे ? इसी संदर्भ में ‘सनातन प्रभात’ को दिए साक्षात्कार में दिए अपने उत्तर में उनका कोई छिपा हुआ ‘एजेंडा’ था ? राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता अमोल मिटकरी ने खोखला आरोप लगाते हुए यह वक्तव्य किया ।
इस समय मिटकरी ने कहा कि थाने के आपटे नामक नए मूर्तिकार ने छत्रपति की मूर्ति बनाई । आपटे महाराज की घाव वाली मूर्ति बनाकर क्या कहना चाहते थे ? आप्टे ने इस मूर्ति में छत्रपति शिवाजी महाराज की बायीं आंख की भौंह पर चोट का निशान क्यों दिखाया ? इसके पीछे का इतिहास क्या है ? क्या सब कुछ निश्चित था ? इसका उत्तर देना होगा कि क्या ठेका इसी आधार पर मिला था ।
संपादकीय भूमिका
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