श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी ने किए जोधपुर (राजस्थान) की मां सत्चियादेवी के भावपूर्ण दर्शन !
जोधपुर (राजस्थान) – महर्षियों की आज्ञा के अनुसार सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी ने ओशिया, जोधपुर (राजस्थान) की मां सत्चियादेवी के (श्री सत्चित्देवी मंदिर) ४ अगस्त २०२४ को अर्थात दीप अमावस्या के दिन भावपूर्ण दर्शन किए । इस अवसर पर श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने नारियल-वस्त्र से आंचल भरकर दर्शन किए । इस अवसर पर श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने ‘सर्वत्र के साधकों को हो रहे विभिन्न कष्ट दूर हों तथा हिन्दू राष्ट्र की शीघ्रातिशीघ्र स्थापना हो’, इसके लिए भावपूर्ण प्रार्थना की । इस अवसर पर जोधपुर की सनातन की संत पू. (श्रीमती) सुशीला मोदीजी भी उपस्थित थीं । इस अवसर पर जोधपुर के साधक श्री. शीतल मोदी एवं श्री. शैलेश मोदी का परिवार, साथ ही जयपुर के साधक श्री. ऋषि राठी के परिजन उपस्थित थे ।
ओशिया के ‘श्रीसत्चिया’ देवी का इतिहास‘राजस्थान राज्य के जोधपुर शहर से ६० कि.मी. दूर ‘ओशिया’ नामक गांव है । प्राचीन काल में इस गांव का नाम ‘उपकेशनगरी’ था । इस स्थान पर पहले अनेक मंदिर थे । उनमें से प्रमुख मंदिर ‘श्रीसत्चित्देवी मंदिर’ था । आगे जाकर ‘सत्चित्’ का अपभ्रंश ‘सत्चिया’ हुआ तथा ‘उपकेशनगरी’ का अपभ्रंश ‘ओशिया’ हुआ । १२ वीं शताब्दी से ये देवी राजस्थान के अनेक क्षत्रिय लोगों की तथा जैन के ‘ओसवाल’ लोगों की कुलदेवती के रूप में जानी जाने लगीं । ‘सत्चियादेवी’ आदिशक्ति जगदंबा का रूप हैं । वर्ष १२७ में अर्थात दूसरी शताब्दी में राजा उप्पलदेव ने यहां मंदिर का निर्माण किया । देवी ने एक देवीभक्त नववधू को इस स्थान पर साक्षात दर्शन दिए थे । उस समय भूकंप हुआ । भूमि भंग हुई तथा उससे देवी की मूर्ति प्रकट हुई । आगे जाकर मंदिर के निर्माण हेतु ग्रामवासियों के पास धन नहीं था । उस समय श्रीसत्चिया देवी ने राजा उप्पलदेव के स्वप्न में जाकर उसे एक दैवी कोष का रहस्य बताया तथा उस धन का उपयोग कर मंदिर का निर्माण करने के लिए कहा । यह स्थान २००० वर्ष प्राचीन है तथा यह देवी साक्षात आदिशक्ति की अवतार हैं ।’ |