सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
वर्तमान महिलाओं का अंतर्मुख होना आवश्यक !
‘कहां पति के साथ थोडा विवाद होने पर विवाह विच्छेद करनेवाली वर्तमान पत्नियां, तो कहां पति के निधन के उपरांत उसके साथ एकरूप होने के कारण जौहर करनेवाली, अर्थात देह अग्नि में समर्पण करनेवाली पद्मावती रानी एवं उनके साथ की १६ सहस्र राजपूत स्त्रियां !’
साम्यवाद शब्द भविष्य में पृथ्वी से समाप्त होने का कारण
‘साम्यवाद’ शब्द के अनुरूप कहीं भी ‘समानता क्यों नहीं होती ?’, इस संबंध में भी साम्यवादियों को जिज्ञासा नहीं होती; क्योंकि मूलभूत कारण, उदा. प्रारब्ध, अनिष्ट शक्तियों की पीडा, साधना इत्यादि उन्हें समझ में नहीं आता । अतः इन कारणों को दूर करने में वे कैसे सहायता कर सकते हैं ? इसीलिए शीघ्र ही ‘साम्यवाद’ शब्द ही पृथ्वी से समाप्त हो जाएगा ।’
भारत की जनसंख्या कितनी बढने देना है, इसका विचार करें !
‘भारत में उपलब्ध भूमि, अनाज तथा जल का विचार कर भारत की जनसंख्या कितनी बढने देना है, इसका विचार करें; अन्यथा आगे बढनेवाली भीड में सभी का दम घुटेगा, यह शासनकर्ता क्यों नही समझते ?’
कहां केवल अनुमान व्यक्त करनेवाला विज्ञान और कहां ज्योतिषशास्त्र !
‘कहां भविष्य में क्या होनेवाला है, इसके विषय में किसी एक व्यक्ति के संदर्भ में भी सभी जांच करने के उपरांत भी न बता पानेवाला तथा प्रकृति के संदर्भ में केवल अनुमान व्यक्त करनेवाला विज्ञान; और कहां केवल प्रकृति का ही नहीं; अपितु प्रत्येक व्यक्ति का भविष्य जन्मकुंडली तथा नाडी पट्टिकाओं एवं संहिताओं के आधार पर बतानेवाला ज्योतिष शास्त्र !’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले