Badlapur Sexual Assault : विद्यालयों में ही लडकियां सुरक्षित नहीं होंगी, तो शिक्षा के अधिकार का क्या उपयोग ? – मुंबई उच्च न्यायालय
बदलापुर (जिला ठाणे) में लैंगिक अत्याचार प्रकरण में न्यायालय ने पुलिस और सरकार को लगाई फटकार !
मुंबई – मात्र ४ वर्ष की लडकियां भी इसमें बलि चढ़ रही हैं, यह बहुत ही भयावह तथा खतरनाक स्थिति है । विद्यालयों में ही लडकियां सुरक्षित नहीं होंगी, तो फिर शिक्षा के अधिकार का क्या उपयोग है ?, इन शब्दों में मुंबई उच्च न्यायालय ने बदलापुर में छात्राओं के लैंगिक अत्याचार के विषय में पुलिस और सरकार को फटकार लगाई । मुंबई उच्च न्यायालय ने ‘सुमोटो’ (स्वयं आगे आकर) इस घटना के विषय में २१ अगस्त के दिन सुनवाई की । न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चौहान की खंडपीठ के समक्ष यह सुनवाई हुई ।
राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता हितेन वेनेगावकर ने न्यायालय में पक्ष रखा । इस प्रकरण में अपराध प्रविष्ट करने के लिए पुलिस द्वारा किए विलम्ब के विषय में न्यायालय ने पुलिस की आलोचना की । ‘केवल पुलिस ने ही अपराध प्रविष्ट करने में देर की, ऐसा नहीं है, विद्यालय प्रशासन द्वारा भी इस मामले के प्रकाश में आने पर शिकायत प्रविष्ट करने में विलंब किया गया। पीडिता के परिवार द्वारा अपराध प्रविष्ट करने की बात से इस विषय पर ध्यान जाता है’, ऐसा न्यायालय ने कहा ।
केवल एक ही पीडिता की शिकायत प्रविष्ट हुई !
इस प्रकरण में २ लडकियों पर अत्याचार किया गया; लेकिन पुलिस ने केवल एक ही लडकी की शिकायत प्रविष्टि की । न्यायालय ने दूसरी पीडिता की शिकायत प्रविष्ट की क्या ? ऐसा पूछने पर पुलिस ने, प्रविष्टि की गई है, यह आश्वासन दिया । इसपर न्यायालय ने पुलिस के विषय में खेद व्यक्त किया ।