Sudha Murty : रानी कर्णावती द्वारा हुमायूं से सहायता मांगने के समय से रक्षाबंधन चालू होने का किया दावा !

  • सांसद सुधा मूर्ति के आपत्तिजनक पोस्ट से विवाद

  • साइबर पुलिस में शिकायत

सांसद सुधा मूर्ति

बेंगलुरु (कर्नाटक) – रानी कर्णावती (मेवाड साम्राज्य की रानी) संकट में थी, उसका राज्य छोटा था और उस पर सतत आक्रमण होते थे । उसे क्या करना चाहिए ,यह नहीं समझ में आया। उसने मुगल बादशाह हुमायूं को एक धागे के साथ सन्देश भेजा , ‘मैं संकट में हूं, कृपया मुझे अपनी बहन समझ कर सहायता करें’। इस घटना से रक्षाबंधन का त्यौहार प्रारंभ हुआ, जो आजतक चल रहा है, ऐसी पोस्ट ‘इंफोसिस’ कंपनी की अध्यक्षा और राज्यसभा सदस्य सुधा मूर्ति द्वारा किए जाने पर विवाद निर्माण हुआ है । सामाजिक माध्यमों पर इसका विरोध किया जा रहा है । साथ ही मूर्ति के विरोध में अधिवक्ता अमिता सचदेवा ने साइबर पुलिस से शिकायत की है । सुधा मूर्ति ने इस पोस्ट में आगे लिखा था कि, हुमायूं को इस संदेश का अर्थ नहीं समझ में आया । तब स्थानीय लोगों ने उसे यह भाई को बहन की पुकार’ होने की बात समझाई। ‘यह एक प्राचीन प्रथा है’, ऐसा उन्होंने बताया ।

हुमायूं ने कहा, ‘मैं रानी कर्णावती की सहायता करूंगा’ और वह देहली से निकला; परंतु वह समय पर नहीं पहुंच सका । तब तक रानी कर्णावती की मृत्यु हो गई थी । इस धागे का महत्व यही है कि, संकट आने पर कोई तो सहायता के लिए आएगा, ऐसी आशा रखने की परंपरा !

रक्षाबंधन का इतिहास 

भारतीय संस्कृति के अनुसार द्रौपदी द्वारा भगवान श्रीकृष्ण को लगी चोट पर स्वयं की साडी फाड कर पट्टी बांधने से यह परंपरा आरम्भ हुई । साथ ही दूसरी एक कथा के अनुसार देव और दानवों के बीच युद्ध में पराजित देवताओं को दानवों ने स्वर्ग से बाहर निकाल दिया । इंद्र द्वारा बृहस्पति से सलाह मांगने पर उन्होंने विजय प्राप्त करने के लिए श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षाविधि करने के लिए बताया । गुरु के आदेशानुसार इंद्राणी शचीदेवी ने बृहस्पति से श्रावण पूर्णिमा के दिन इंद्र के लिए स्वस्तिवाचन कर इंद्र के दाहिने हाथ में रक्षासूत्र बांधा । तब इंद्र ने दानवों को पराजित किया और स्वर्ग पर पुनः विजय प्राप्त की, ऐसा भविष्य पुराण में उल्लेख है ।