Talaq : मौखिक तलाक का तरीका समाज के लिए हानिकारक है !
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का प्रतिज्ञापत्र
नई दिल्ली – मुसलमानों में मौखिक तलाक की प्रथा न केवल समाज के लिए हानिकारक है, अपितु इससे मुस्लिम महिलाओं की स्थिति भी दयनीय हो जाती है। ऐसी तलाक पीडित महिलाओं के पास पुलिस की सहायता लेने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं बचता। कानून में दंडात्मक प्रावधानों की कमी के कारण पति के विरोध मे कार्यवाही नहीं कर सकती थी इसलिए पुलिस भी असहाय थी । केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में प्रतिज्ञापत्र प्रविष्ट कर कहा कि इसे रोकने के लिए मौखिक तलाक के विरोध मे कानून लाया गया है । सरकार ने यह प्रतिज्ञापत्र इस कानून के विरोध मे प्रविष्ट याचिका पर न्यायालय को सौंपा है ।
सरकार ने आगे कहा कि, मौखिक तलाक की अदूरदर्शी प्रथा से बचने के लिए एक कानूनी प्रावधान की आवश्यकता है जो मुस्लिम पतियों को बाध्य करके तत्काल तलाक देने से रोक सके। कानून क्या होना चाहिए ? यह निर्णय करना न्यायालय का काम नहीं है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार का मुख्य कार्य यह तय करना है कि देश के लोगों के लिए क्या अच्छा है और क्या नहीं।