संपादकीय : इजरायल ने प्रतिशोध ले ही लिया !
अक्टूबर २०२३ में फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास द्वारा इजरायल पर किए आक्रमण का प्रतिशोध अंततः इजरायल ने ले ही लिया । इस संगठन के ६२ वर्षीय प्रमुख इस्माइल हानिया को ईरान की राजधानी तेहरान में घुसकर इजरायल ने मारा। इतना ही नहीं इसी समय इजरायल ने लेबनॉन की राजधानी बैरूत में आतंकवादी संगठन हिजबुल्ला के वरिष्ठ आतंकवादी नेता फुआद शुक्र को भी मार डाला । क्षेपणास्त्र एवं एयर स्ट्राइक द्वारा इन दोनों को मारा गया । ये दोनों शहर उन देशों की राजधानियां हैं, यह ध्यान में रखना होगा । आतंकवाद नष्ट करने के लिए क्या करना चाहिए ?, यह इजरायल ने प्रत्यक्ष कृति से दिखा दिया है । इजरायल ने पुनः ‘घर में घुसकर मारेंगे’, का प्रत्यक्ष उदाहरण दिखा दिया । इजरायल अनेक वर्षाें से शत्रु के विरुद्ध विविध देशों में जाकर ऐसी कार्यवाही करता रहा है । इजरायल प्रत्यक्ष करके दिखाता है, जबकि भारत केवल बातों में समय व्यर्थ करता है, यह ध्यान में रखना होगा । ‘भारत पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में घुसकर क्या आतंकवादियों को मार सकता है ?’, यह प्रश्न है । ‘ईरान एवं लेबनॉन में घुसकर आतंकवादियों को मारने से ये दोनों देश इजरायल पर आक्रमण कर सकते हैं’, ऐसा भय भी इजरायल को नहीं लगा, यह ध्यान रखना होगा ।
भारत ने इजरायल से कुछ नहीं सीखा !
इजरायल केवल गाजा में ही नहीं, अपितु ईरान, लेबनॉन में घुसकर आतंकवादियों को लक्ष्य बना रहा है । दूसरी ओर गत एक महीने में पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा जम्मू-कश्मीर में किए आक्रमणों में १६ भारतीय सैनिकों को वीरगति प्राप्त हुई है । ६०० से अधिक पाकिस्तानी सैनिक जम्मू में घुसे हैं, ऐसी जानकारी मिली । यह देखते हुए ध्यान में आता है कि भारत ने इजरायल से कुछ नहीं सीखा है । इजरायल से मित्रता रखना, यह एक भाग है तथा इस मित्र से जो भारत के हित में है, वह सीखकर उसके अनुसार कृति करना भी आवश्यक है । छोटा सा इजरायल जो कर सकता है, वह अण्वस्त्रधारी एवं ५ वीं वैश्विक अर्थव्यवस्था बना भारत नहीं कर सकता, यह भारत के लिए लज्जाजनक है । इजरायल ने केवल हानिया को ही नहीं मारा है, अपितु गत १० महीनों में उसने हानिया की बहन, भाई, भतीजे, बच्चे, नाती आदि सब परिजनों को मार डाला है । ‘आतंकवादियों का समूल नाश क्या होता है ?, इसका उदाहरण इजरायल ने सामने रखा है । भारत लगभग ३५ वर्षाें से जिहादी आतंकवाद से ग्रस्त है । गत १० वर्षाें में यद्यपि भारत ने इस पर कुछ मात्रा में नियंत्रण प्राप्त किया है, तथापि इन आतंकवादियों के निर्माता पाकिस्तान को वह सबक नहीं सिखा पाया है ।
भारत की गांधीगिरी !
उरी एवं पठानकोट की सेना पर हुए आक्रमण के उपरांत भारत ने पाकिस्तान में घुसकर कार्यवाही की, तब भी उससे आतंकवाद नष्ट नहीं हुआ है । आज भी आतंकवादी एवं पाकिस्तानी सैनिक भारत में घुसपैठ कर रहे हैं । कहा जा रहा है कि जम्मू में पाकिस्तानी सैनिकों के घुसने के कारण पुनः युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई है । भारत के स्थान पर इजरायल होता, तो उसने अभी तक पाकिस्तान को संसार के नक्शे से हटा दिया होता । ‘ऐसी मानसिकता, नेतृत्व एवं प्रखर राष्ट्रप्रेम अभी तक के सर्वपक्षीय भारतीय शासकों में कभी दिखाई ही नहीं दी’, यह भारतियों का दुर्भाग्य ही कहना पडेगा । तथाकथित अंतरराष्ट्रीय दबाव के नाम पर भारत गांधीगिरी करता रहा है, इसीलिए कश्मीर का आतंकवाद जड से नष्ट नहीं हो सका है । भारत ने एक भी आतंकवादी संगठन के प्रमुख को अभी तक नहीं मारा है । २६/११ को मुंबई पर हुए आक्रमण का सूत्रधार हाफिज सईद आज भी पाकिस्तान में सुख से रह रहा है । कंधार विमान अपहरण प्रकरण में छोडे गए प्रमुख आतंकवादी आज भी भारत के विरुद्ध कार्यवाहियां कर रहे हैं । दाऊद इब्राहिम पर भी भारत कार्यवाही नहीं कर पाया है । इजरायल हमास को नष्ट किए बिना शांत नहीं बैठेगा । भारत लष्कर-ए-तोएबा, जैश-ए-मोहम्मद आदि आतंकवादी संगठनों को नष्ट नहीं कर पाया है । विशेष यह है कि वैसा प्रयत्न भी नहीं किया है । इससे स्पष्ट होता है कि इजरायल के सामने भारत कितना छोटा है । गत कुछ महीनों में पाकिस्तान में भारतविरोधी आतंकवादियों की हत्या हो रही है । इसके पीछे भारत का हाथ है, ऐसा आरोप पाकिस्तान ने लगाया है । भारत ने ऐसा किया होगा, तो उसका भारतीयों को सार्थ अभिमान ही होगा । तब भी यदि भारत को कुछ करना हो, तो इसके साथ ही जड पर आघात करने के प्रयत्न भी करने चाहिए ।
भारत को इजरायल समान शासक चाहिए !
इजरायल ने गत १० महीनों में गाजा पट्टी नष्ट कर दी है । विशेष यह है कि इतना होते हुए भी हमास ने बंधक बनाए इजरायली लोगों को नहीं छोडा है । अनेकों को मार डाला गया है । महिला बंधकों पर यौन अत्याचार किए गए हैं । इससे ध्यान में आता है कि हमास कितना क्रूर है । ऐसे आतंकवादी संगठनों के साथ गांधीगिरी नहीं, अपितु छत्रपति शिवाजी महाराज के समान व्यवहार करना चाहिए, यह इजरायल जानता है और वह वैसा ही कर रहा है । अभी हमास का एक और बडा नेता याह्या सिनवार जीवित है । कहा जा रहा है कि उसे भी इजरायल मार डालेगा । जब तक हमास नष्ट नहीं होता एवं बंधक मुक्त नहीं होते, तब तक हमास-इजरायल युद्ध नहीं रुकेगा । इजरायल की दृढ मनोवृत्ति के कारण ही वह पडोस के ७ इस्लामी राष्ट्रों का गत ७५ वर्षाें से सामना करते हुए अडिग खडा है । भारत पाक के विरोध में कार्यवाही करे, तो मुसलमान प्रेमी राजनीतिक दल उसका विरोध करते हैं तथा सेना एवं सरकार के पैर खींचने का प्रयत्न करते हैं । यह इजरायल एवं भारत के बीच प्रमुख भेद है । इसीलिए भारत जिहादी आतंकवादियों एवं पाकिस्तान के विरोध में कठोर कार्यवाही करने का साहस नहीं कर पाया है । भारत ने वर्ष १९७१ में पूर्व पाकिस्तान को स्वतंत्र कर उस क्षेत्र को पुनः भारत से नहीं जोडा । वहां नया बांग्लादेश स्थापित किया । इसके विपरीत इजरायल ने १९६० के दशक में गाजा पट्टी पर नियंत्रण प्राप्त किया एवं लगभग ३० वर्ष उसे अपने पास रखा । उसे पुनः फिलिस्तीन को देने पर आतंकवादी संगठन हमास पुनः बढ गया । भारत गत ७५ वर्षाें में पाकव्याप्त कश्मीर वापस नहीं ले पाया है । भारत में इजरायली शासक होते, तो भारत अभी तक महाशक्ति बन चुका होता । कदाचित भारत पुनः अखंड भारत भी बन गया होता, यह अतिशयोक्ति नहीं होगी ।
इजरायल के समान भारत ने जिहादी आतंकवादियों के विरोध में कार्यवाही की होती, तो अब तक भारत आतंकवाद से मुक्त हो गया होता ! |