M. P. Waqf Board : मध्य प्रदेश के ३ मुगलकालीन वास्तुओं पर मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड का अधिकार नहीं !

जबलपुर उच्च न्यायालय का निर्णय

जबलपुर (मध्य प्रदेश) – मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड का बुरहानपुर जिले के ‘बिवी की मस्जिद’, ‘आदिल शाह मुबारक शाह का मकबरा (कब्र)’ एवं ‘बेगम शुजा का मकबरा’ ये तीनों मुगलकालीन संपत्ति पर अधिकार नहीं है । ये संपत्ति वक्फ बोर्ड के मालिकी की नहीं है, ऐसा निर्णय जबलपुर उच्च न्यायालय ने दिया है । मुगल कालीन इस संपत्ति पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का अधिकार है, ऐसा उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है । वक्फ बोर्ड द्वारा इन तीनों ऐतिहासिक वास्तुओं को स्वयं की संपत्ति के रूप में घोषित किया गया था । तब जबलपुर उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की गई थी ।

१. उच्च न्यायालय के इस निर्णय पर बुरहानपुर के वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शेख फारूक ने कहा, ‘हम इस निर्णय के विरुद्ध द्विसदस्यीय खंडपीठ में चुनौती देनेवाले हैं ।’

२. इतिहासकार कमरुद्दीन फालक ने अपना मत व्यक्त करते हुए कहा, ‘उच्च न्यायालय का यह निर्णय बहुत ही अच्छा है तथा उसका स्वागत करना चाहिए ।’ उन्होंने आगे कहा, ‘ये तीनों पुरातन ऐतिहासिक वास्तु हैं । ये स्मारक ऐसे विभाग को सौंप दिए गए हैं, जो उनकी देखभाल कर सके; क्योंकि उस विभाग में विशेषज्ञ एवं अनुभवी लोग हैं । ये ही स्मारक यदि वक्फ बोर्ड के पास गए होते, तो उन्हें स्मारकों की वास्तविकता समझ में न आई होती ।’

३. याचिका में कहा गया है कि वर्ष २०१३ में मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड ने इन स्मारकों को अपनी संपत्ति के रूप में घोषित किया था; परंतु प्राचीन स्मारक सुरक्षा कानून १९०४ के अंतर्गत उन्हें प्राचीन एवं सुरक्षित स्मारकों की वर्गवारी में रखा गया था । ऐसी परिस्थिति में उन्हें वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं मान सकते ।

४. जबलपुर उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि वक्फ बोर्ड की अधिसूचना भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अथवा केंद्र सरकार की मालिकी के अधिकार छीन नहीं सकती । अब इन प्राचीन वास्तुओं पर वक्फ बोर्ड का अधिकार नहीं है ।

संपादकीय भूमिका 

मूल में केंद्र सरकार को वक्फ कानून एवं मंडल दोनों निरस्त करने की आवश्यकता है । देश में रेल, सुरक्षा मंत्रालय के उपरांत वक्फ मंडल के पास ही सर्वाधिक भूमि है । यह देश की सुरक्षा के लिए उचित नहीं है !