श्रावणमास में अध्यात्मप्रसार की दृष्टि से निम्न प्रयास कर गुरुकृपा संपादन करें !

साधकों के लिए सूचना !


‘५.८.२०२४ से श्रावणमास आरंभ हो रहा है । इस काल में नागपंचमी, श्रावणी पूर्णिमा/राखी पूर्णिमा, श्रीकृष्ण जयंती, गोपाळकाला तथा बैलपूजा; ये त्योहार आते हैं । इस अवधि में अध्यात्मप्रसार की दृष्टि से निम्न प्रयास किए जा सकते हैं –

१. मंदिरों में ग्रंथ प्रदर्शनियों का आयोजन करना

अ. सोमवार, मंगलवार आदि दिनों में संबंधित देवताओं के मंदिरों में सनातन द्वारा प्रकाशित ग्रंथ, लघुग्रंथ तथा सात्त्विक उत्पादों की प्रदर्शनी लगाएं । इसमें उस देवता की अध्यात्मशास्त्रीय जानकारी देनेवाले फलक भी लगाए जा सकते हैं । सोमवार के दिन शिवजी के मंदिर में बहुत भीड होती है । विभिन्न स्थानों के शिवमंदिरों में ग्रंथ प्रदर्शनियां लगाने का प्रधानता से नियोजन करें ।

आ. देवताओं की नामपट्टियां, चित्र, ग्रंथ, लघुग्रंथ एवं पदक (लॉकेट) के भिन्न-भिन्न आकर्षक संच बनाकर ग्रंथप्रदर्शनी पर हम उनकी बिक्री कर सकते हैं ।

इ. ग्रंथप्रदर्शनी का अवलोकन करनेवाले जिज्ञासुओं को ‘सनातन पंचांग’ का महत्त्व बताकर उनसे वर्ष २०२५ के पंचांगों की मांग ली जा सकती है ।

२. सार्वजनिक स्थानों पर प्रवचनों का आयोजन 

मंदिर, विद्यालय, महाविद्यालय, वरिष्ठ नागरिक संघ, महिला समूह, आवासीय परिसरों आदि स्थानों पर ‘श्रावणमास के महत्त्व’ के साथ-साथ ही देवताओं की अध्यात्मशास्त्रीय जानकारी देनेवाले प्रवचनों का आयोजन किया जा सकेगा । ‘आदर्श गणेशोत्सव कैसे मनाएं ?’, इस विषय में भी उपस्थित जिज्ञासुओं को अवगत किया जा सकेगा ।

३. विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से अध्यात्मप्रसार 

अ. चतुर्मास के अवसर पर विभिन्न मंदिरों में कीर्तन, प्रवचन आदि का बडे स्तर पर आयोजन किया जाता है । ऐसे स्थानों पर ग्रंथप्रदर्शनी लगाना, साथ ही आयोजकों से अनुमति लेकर ‘चतुर्मास का महत्त्व’ आदि विषयों पर प्रवचन लिया जा सकता है ।

आ. श्रावणमास में सुहागन महिलाएं मंगलागौरी के अवसर पर एकत्र होती हैं । उनके लिए प्रवचन, साथ ही ग्रंथप्रदर्शनी का आयोजन किया जा सकता है । इसके साथ ही यहां आनेवाली स्त्रियों को उपहार के रूप में लघुग्रंथ अथवा सात्त्विक उत्पाद दिए जा सकते हैं ।

इ. इस माह में कुछ लोग घर पर पूजा रखते हैं । इस उपलक्ष्य में धार्मिक कृतियों का शास्त्र विशद करनेवाले ग्रंथ समाज तक पहुंचाए जा सकते हैं ।

४. घर-घर जाकर प्रसार

त्योहारों तथा उत्सवों के विषय में, साथ ही विभिन्न देवताओं की जानकारी देनेवाले ग्रंथों तथा लघुग्रंथों का घर-घर जाकर वितरण किया जा सकता है ।

५. फलकप्रसिद्धि 

श्रावणमास के विषय में, साथ ही देवताओं के संदर्भ में सार्वजनिक स्थानों पर स्थित फलकों पर जानकारी लिखकर हम फलकप्रसिद्धि कर सकते हैं ।’ (३०.७.२०२४)

रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में ‘लव जिहाद’ ग्रंथ का समाज में अधिक से अधिक वितरण करने का प्रयास करें ! 

‘रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में ‘लव जिहाद’ के संबंध में लडकियों एवं स्त्रियों में जागृति लाने की दृष्टि से महिला संगठनों एवं महिला समूहों में इन विषयों पर प्रवचनों का आयोजन कर ‘लव जिहाद’ ग्रंथ का वितरण कर सकते  हैं, साथ ही हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों तथा हिन्दुत्वनिष्ठों से मिलकर ‘क्या वे इन ग्रंथों का वितरण कर सकते हैं ?’, यह पूछ सकते हैं । इन ग्रंथों के लिए प्रायोजक प्राप्त कर हम महाविद्यालयों एवं महिला संगठनों में उनका निःशुल्क वितरण कर सकते हैं । रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में भाई अपनी बहन को भेंट के रूप में ‘लव जिहाद’ ग्रंथ भेंट कर सकता है ।’ (३०.७.२०२४)