Shahi Idgah Case : शाही इदगाह का ‘धार्मिक स्‍वरूप’ निश्‍चित करना आवश्यक। – अलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय

  • मथुरा का श्रीकृष्‍णजन्‍मभूमि-शाही ईदगाह विवाद !

  • ‘प्‍लेसेस ऑफ वर्शिप एक्‍ट’का उल्लंघन होने का मुसलमान पक्ष का दावा भी अस्वीकार किया ।

प्रयागराज (उत्तरप्रदेश) – मथुरा के श्रीकृष्‍णजन्‍मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद प्रकरण में हिन्दू पक्ष द्वारा प्रविष्‍ट १८ स्‍वतंत्र दीवानी अभियोग स्थायी रखने को चुनौती देनेवाली मुसलमान पक्ष की याचिका अस्वीकार करते हुए अलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय ने कहा है कि शाही -इदगाह का ‘धार्मिक स्‍वरूप निश्‍चित करना आवश्‍यक है ।’

१. हिन्दू याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रविष्‍ट अभियोग के कारण ‘प्रार्थनास्‍थल कानून’ (‘प्‍लेसेस ऑफ वर्शिप एक्‍ट’) का उल्लंघन होने का मुसलमान पक्ष का दावा भी न्‍यायालय ने अस्वीकार किया ।

२. इस समय मुसलमान पक्ष ने दावा किया कि ‘वर्ष १९९१ का ‘प्रार्थनास्‍थल कानून’ देश के स्‍वतंत्रता दिवस को अस्‍तित्‍व में रखने वाले किसी भी प्रार्थनास्‍थल के धार्मिक स्‍वरूप में परिवर्तन करने को प्रतिबंधित करता है । केवल श्रीरामजन्‍मभूमि-बाबरी मस्जिद ‍विवाद उस कानून की कक्षा से हटाया गया था ।

३. हिन्दू पक्ष द्वारा प्रविष्‍ट अभियोगों में ऐसा दावा किया गया कि प्राचीन काल से मथुरा में खड़े मंदिर को तोड कर निर्माण की गई औरंगजेबकालीन मस्जिद हटाई जाए ।

४. न्‍यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने अपने निर्णय में कहा है कि वर्ष १९९१ के कानून में ‘धार्मिक स्‍वरूप‘ शब्द की व्याख्या नहीं की गई है । संबंधित धार्मिक स्थल को ‘मंदिर’ एवं ‘मस्जिद’ ऐसी दोहरी ‘धार्मिक पहचान’ नहीं हो सकती । या तो वह मंदिर है अथवा मस्जिद है । इसलिए इस भूमि का धार्मिक स्‍वरूप जो १५ अगस्त १९४७ को अस्‍तित्‍व में था उसे दोनो ही पक्षों के नेतृत्‍व में दस्तावेज तथा मौखिक साक्ष द्वारा निश्‍चित किया जाए ।

५. हिन्दू पक्ष के अधिवक्‍ता विष्‍णु शंकर जैन ने पत्रकारों से कहा कि श्रीकृष्‍णजन्‍मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद प्रकरण में अलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय ने १८ याचिकाओं पर एकत्रित सुनवाई चालू रखने का निर्णय लिया है । हिन्दू पक्ष अब मस्जिद के सर्वेक्षण को अनुमति देनेवाले अलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय के पूर्व के आदेश की स्‍थगिती पीछे लेने हेतु सर्वोच्‍च न्‍यायालय में जाएंगे ।

६. हिन्दू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद में अनेक चिन्‍ह तथा संकेत हैं, जो मंदिर होने की बात सिद्ध करते हैं ।

अगली सुनवाई १२ अगस्त को !

इस संदर्भ में दोनो ही पक्षों का युक्‍तिवाद पूर्ण होने के पश्चात ६ जून को न्‍यायालय ने निर्णय सूरक्षित रखा था । याचिकाकर्ताओंने मांग की थी कि ‘शाही ईदगाह की भूमि हिन्दुओं की है तथा यह हिन्दुओं को लौटाने के साथ वहां पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए । इस प्रकरण में हिन्दू पक्ष द्वारा प्रविष्‍ट याचिकाओं में शाही इदगाह मस्जिद की भूमि हिन्दुओं की भूमि होने की बात कही गई है । इसी समय मुसलमान पक्ष ने प्रार्थनास्‍थल कानून (प्‍लेसेस ऑफ वर्शिप एक्‍ट १९९१), वक्‍फ कानून आदि कानूनों का संदर्भ देकर हिन्दुओं की याचिका अस्वीकार करने की मांग की थी । मथुरा न्‍यायालय में हिन्दू पक्ष द्वारा प्रविष्‍ट १८ स्‍वतंत्र दीवानी दावे स्थायी रखने को चुनौती दी गई थी । शाही ईदगाह समिति द्वारा प्रविष्‍ट याचिका पर उच्‍च न्‍यायालय ने उपरोक्त निर्णय दिया । इस प्रकरण में अगली सुनवाई १२ अगस्त को होगी ।