Global Development Modi : वैश्विक विकास में भारत की भागीदारी में 16 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है ! – प्रधान मंत्री

पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ भारतीय गरीबी से बाहर आये !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई देहली – मेरा देश कभी पीछे नहीं हट सकता। मैं ‘सीआईआई’ (भारतीय उद्योग परिसंघ) को हार्दिक धन्यवाद व्यक्त करता हूं। मुझे याद है कि आपने कोरोना महामारी के समय अत्यधिक सावधानी बरती थी। हर चर्चा के केंद्र में यही विषय था कि ‘कैसे बढ़ेगा भारत!’ आज हम सब विकसित भारत की यात्रा पर चर्चा कर रहे हैं। वैश्विक विकास में भारत की भागीदारी बढ़कर 16 प्रतिशत हो गई है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहम भाषण देते हुए कहा कि पिछले 10 साल में 25 करोड़ भारतीय गरीबी से बाहर आए है। वह यहां विज्ञान भवन में ‘विकसित भारत की यात्रा: केंद्रीय बजट 2024-25 के बाद’ नामक सम्मेलन के उद्घाटन पर बोल रहे थे। भारतीय उद्योग महासंघ ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया है।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा,

1. आज भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है और वह दिन दूर नहीं जब हम तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन जायेंगे! मेरे तीसरे कार्यकाल में देश तीसरी अर्थव्यवस्था बन जायेगा। सरकार ने अर्थव्यवस्था का ब्योरा घोषित कर दिया है।

2. बजट 16 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 48 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।

3. पहले बजट की घोषणाएं लागू नहीं हो पाती थी। (पहले की सरकारें ही) घोषणाएं करके सुर्खियां बनती थीं। पहले की सरकारों ने योजना को समय पर पूरा करने पर ध्यान नहीं दिया। हमने 10 साल में यह स्थिति बदल दी है।

4. हम देश के नागरिकों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने पर जोर दे रहे हैं। हमने कौशल विकास और रोजगार पर ध्यान केंद्रित किया है। बजट में घोषित ‘प्रधानमंत्री पैकेज’ से 4 करोड युवा लाभन्वित होंगे।

भारत उच्च विकास एवं कम मुद्रास्फीति वाला एकमात्र देश है ! – प्रधान मंत्री

कोरोना महामारी जैसी अनिश्चितता के समय में भी विदेशी मुद्रा भंडार में अत्यधिक वृद्धि हुई। भारत उच्च विकास और कम मुद्रास्फीति वाला एकमात्र देश है। इतनी बड़ी महामारी के पश्चात भी भारत की राजकोषीय सूझबूझ विश्व के लिए एक मॉडल है। महामारी, युद्ध एवं प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद ऐसा हुआ है। यदि ये संकट न आए होते तो भारत आज जहां है उससे ऊंचे स्तर पर होता।

संपादकीय भूमिका 

विपक्षी दलों के अलावा कोई भी भारत की आर्थिक तेजी से असहमत नहीं होना चाहिए। इसका परिणाम यह हुआ कि पिछले 10 वर्षों में भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। यद्यपि, धार्मिक समर्थन की कमी के कारण यह आर्थिक वृद्धि किसी भी समय ढह सकती है। अतः लोगों को विश्वास है कि प्रधानमंत्री आने वाले 5 वर्षों में आध्यात्मिक विकास के लिए भी ऐसा ही करेंगे !