कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ही दुकानों पर नाम फलक लगाने के आदेश !
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दुकान की नाम पट्टी (बोर्ड) पर दुकानदारों के नाम लिखने के आवाहन का समर्थन
नई देहली – कावड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों में खाने-पीने के विषय को लेकर पहले भी विवाद और तनाव उत्पन्न हो चुका है। ऐसी किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए, नंगे पैर चलकर पवित्र जल ले जाने वाले करोड़ों कावड़ यात्रियों की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे, इसके लिए दुकानों के बाहर नाम लिखने का निर्देश दिया गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने न्यायालय को बताया, ”कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है।” मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया है कि उत्तर प्रदेश में कावड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने की सभी दुकानों के मालिक दुकानों के सामने अपना नाम लिखें। इस निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। इसके पश्चात सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय पर रोक लगा दी। इस मामले की सुनवाई 26 जुलाई को हुई । उस समय उत्तर प्रदेश सरकार ने अपना पक्ष रखा ।
1. उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए सुप्रीम कोर्ट में दुकानों के कुछ नाम बताए। इसमें एक दुकान का नाम ‘पंडित जी का ढाबा’ है; लेकिन दुकान का मालिक एक मुस्लिम है।
2. उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना उत्तर प्रविष्ट करते हुए दुकानों को नाम देने के सूत्र का पुरजोर समर्थन किया। इस समय सरकार ने कावड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने की दुकानों के छायाचित्र कोर्ट में पेश कीये।
3. ‘राजा राम भोज फैमिली टूरिस्ट ढाबा’ नाम से ढाबा चलाने वाले दुकानदार का नाम वसीम है। ‘राजस्थानी खालसा ढाबा’ के मालिक का नाम फुरकान है, जबकि ‘पंडितजी वैष्णो ढाबा’ के मालिक का नाम सनव्वर राठौड है। इनमें से कुछ उदाहरण सरकार ने कोर्ट में पेश किये।
4. सरकार ने कहा है कि समाज में सौहार्द बनाए रखने के लिए दुकानों पर नाम बोर्ड लिखना आवश्यक है।
नामों की घोषणा के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता ! – सर्वोच्च न्यायालय
सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार के तर्क का विरोध करते हुए कहा कि नाम लिखने के संबंध में किसी को भी इस तरह से अपना नाम घोषित करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। इसके चलते दुकानों पर नाम लिखने के उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय की रोक जारी रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका प्रविष्ट (दायर) की गई
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में होटलों और ढाबों पर स्वामियों का नाम लिखने के उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाए जाने के बाद हिंदू संघर्ष समिति के नेता नरेंद्र पवार ने इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में समीक्षा याचिका प्रविष्ट की है। उन्होंने कावड़ यात्रा मार्गों पर दुकानों पर अधिपति का नाम लिखने का आदेश देने की मांग की है।