Sindhu-Saraswati Culture In Text Book : नई पाठ्यपुस्तक में ‘हडप्पा’ के स्थान पर ‘सिंधु-सरस्वती संस्कृति’ का नामोल्लेख !
केंद्र सरकार की ‘एन्.सी.ई.आर्.टी.’ के समाजशास्त्र के पुस्तक में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन !
नई देहली – ‘एन्.सी.ई.आर्.टी.’ के अर्थात राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की छठी कक्षा के समाजशास्त्र पुस्तक का विमोचन किया गया है । ‘एक्सप्लोरिंग सोसाइटी: इंडिया एंड बियोन्ड’ नामक इस पुस्तक में हडप्पा संस्कृति का नोमोल्लेख ‘सिंधु सरस्वती संस्कृति’ किया गया है । पुस्तक में अनेक स्थानों में सरस्वती नदी का उल्लेख है । इस शैक्षिक वर्ष के आरंभ से ही इस पाठ्यपुस्तक का विद्यालयों में प्रयोग किया जाएगा । पुरानी पाठ्यपुस्तक में इस नदी का उल्लेख केवल वैदिक सूक्तों में स्थित एक नदी का नाम, ऐसे किया गया था ।
१. पुस्तक में स्पष्ट किया गया है कि समाजशास्त्र की नई पुस्तक छात्रों की सुविधा के लिए ‘इंडिया एंड द वर्ल्ड: लैंड एंड पिपल; ‘टेपेस्ट्री ऑफ द पास्ट’; ‘अवर कल्चरल हेरिटेज एंड नॉलेज ट्रॅडीशन्स’; ‘गवर्नेन्स एंड डेमोक्रेसी’; ‘इकॉनामिक लाइफ अराउंड अस’ इन पांच प्रमुख विषयों में विभाजित हुई है ।
२. नई पाठ्यपुस्तक के अनुसार सरस्वती नदी आज भारत में ‘घग्गर’ एवं पाकिस्तान के ‘हाकरा’ (‘घग्गर-हाकरा नदी’) नाम से पहचानी जाती है । पुस्तक में २ नक्शे दिए गए हैं ।
बाढ के कारण नहीं, अपितु अल्प वर्षा एवं सरस्वती नदी सूख जाने से सिंधु-सरस्वती (हडप्पा) संस्कृति का लय हुआ !इस नए पाठ्यपुस्तक में हडप्पा संस्कृति का लय किस प्रकार हुआ, उसकी कारणमीमांसा देते हुए दो प्रमुख कारण बताए गए हैं । एक : वातावरण में परिवर्तन, जिस कारण वर्षा पर परिणाम हुआ तथा वर्षा की मात्रा अल्प हो गई । दूसरा : सरस्वती नदी सूख गई । कहा जाता है कि इस कारण इस नदी की घाटी में विकसित कालीबंगा अथवा बाणावली जैसे नगर नाम शेष हो गए हैं । पुरानी पाठ्यपुस्तक में हडप्पा संस्कृति के लय होने के अनेक कारण दिए गए । उसमें सरस्वती नदी सूख जाने का उल्लेख ही नहीं है । इसी के साथ इस संस्कृति के लय के लिए पुर कारणीभूत होने का एक कारण कहा गया था । |
सरस्वती नदी के संदर्भ में डॉ. नीलेश ओक का ‘सनातन प्रभात’ ने लिया साक्षात्कार !कुछ दिन पूर्व ही अमेरिका के विख्यात शोधक डॉ. नीलेश ओक का ‘सनातन प्रभात’ द्वारा साक्षात्कार लिया गया । इसमें उन्होंने देवी सरस्वती नदी के विषय में किया हुआ अद्वितीय शोधकार्य का वर्णन किया है । उसका वीडियो देखने हेतु क्लिक करें : www.youtube.com/watch?v=MTTBIeyINr8 |
संपादकीय भूमिकाकेंद्र सरकर द्वारा किए गए इस महत्त्वपूर्ण परिवर्तन के साथ अन्य भी अनेक परिवर्तन करना आवश्यक है । उसमें रामायण एवं महाभारत ,ये केवल महाकाव्य अथवा कपोलकल्पित कथा होने की अपेक्षा वह हमारा इतिहास है, यह कहा जाना चाहिए । साथ ही आर्य आक्रमण सिद्धांत किस प्रकार सफेद झूठ है, यह उदाहरण सहित बताकर सनातन हिन्दू धर्म इसी भूमि से ही सर्वत्र फैल गया, यह बात स्पष्ट करनी चाहिए ! |