Vijay Temple Tourist Destination : पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा औरंगजेब द्वारा नष्ट किया गया विजय मंदिर !
भोपाल – शहर से ६५ किमी दूर विदिशा के ऐतिहासिक विजय मंदिर को क्रूर, आक्रांता औरंगजेब ने १६८२ में तोपों से उड़ा दिया था। अब मध्य प्रदेश सरकार ने इस मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। इस मंदिर का पहला उल्लेख अलाउद्दीन खिलजी के साथ आए उसके मंत्री अलबरूनी द्वारा लिखे गए प्रपत्रों में मिलता है। उन्होंने लिखा, ‘यह मंदिर ३१५ फीट ऊंचा था। यह मंदिर भारत के सबसे भव्य मंदिरों में सम्मिलित है। मध्य प्रदेश के संस्कृति राज्य मंत्री धर्मेंद्र सिंह ने कहा, ”प्रदेश में मंदिरों एवं प्रसिद्ध स्थलों का जीर्णोद्धार चल रहा है। हम इन मंदिरों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए पुरातत्व विभाग के साथ काम करेंगे।
मंदिर की स्थापना १० वीं सदी में !
इस मंदिर का निर्माण १०वीं शताब्दी में चालुक्य वंश के राजा कृष्ण के महामन्त्री वाचस्पति द्वारा प्राप्त विजय के प्रतीक के रूप में किया गया था। चूँकि चालुक्य वंश सूर्य वंश का है, यह मंदिर उनके देवता श्री भेल्लीस्वामी (सूर्य) को समर्पित है। इस नाम से ही इस स्थान को भेलसानी और बाद में भेलसा कहा जाने लगा। कुछ शिलालेखों के अनुसार इस मंदिर को ‘बीजमंडल’ या ‘चर्चिका’ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
मुस्लिम आक्रमणकारियों ने बार-बार आक्रमण किये !
इल्तुतमिश ने सबसे पहले इस मंदिर पर वर्ष १२२४ में आक्रमण किया था। बाद में वर्ष १२५० में इसका जीर्णोद्धार किया गया। फिर १२९० में अलाउद्दीन खिलजी के मंत्री मलिक काफूर ने इस मंदिर को नष्ट कर दिया। वर्ष १६८२ में औरंगजेब ने इस मंदिर को तोपों से उड़ा दिया और मंदिर के खंडहरों का उपयोग करके वहां एक मस्जिद बनवाई। फिर १७६० में पेशवाओं ने इस मंदिर को दिए गए मस्जिद के स्वरूप को नष्ट कर दिया।
संपादकीय भूमिकाभारत में मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किए गए सभी मंदिरों को पुनर्स्थापित किया जाना चाहिए; किंतु यदि इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित न करके धार्मिक स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो इससे श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक स्तर पर लाभ होगा,यह सरकार को ध्यान में लेना चाहीये! |