Vishalgad Encroachments : विशाळगढ़ पर अतिक्रमण हटाने का प्रशासन द्वारा प्रारंभ: दुकानों एवं प्रतिष्ठानों को हटाया गया !
गढ़प्रेमियों का आक्रमक दृष्टिकोण एवं निरंतर प्रयास सफल !
कोल्हापुर – पूर्व सांसद छत्रपति संभाजीराजे तथा गढ़प्रेमियों के आक्रमक दृष्टिकोण के पश्चात, अंततः १५ जुलाई को प्रशासन ने विशाळगढ़ पर अतिक्रमण हटाना प्रारंभ किया । दोपहर ३ बजे तक ३० दुकानों एवं प्रतिष्ठानों को हटाया गया है, ऐसी जानकारी प्राप्त हुई है।
प्रशासन के कई प्रमुख अधिकारी पुलिस व्यवस्था के साथ विशाळगढ़ पर उपस्थित थे। भारी पुलिस व्यवस्था के बीच यह कार्यवाही की जा रही है। विशाळगढ़ पर दरगाह परिसर में कुछ लोगों ने दुकानों, घरों का अतिक्रमण किया है।
Administration begins to uproot encroachments on Vishalgadh.
💥 Shops and establishments cleared off.
✊ Praiseworthy accomplishment of the 'Vishalgadh Rakshan Ani Atikramanvirodhi Kruti Samiti' for their aggressive stance and repeated follow-up.@SG_HJS pic.twitter.com/KpqqdlVvXa
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) July 15, 2024
विशाळगढ़ पर अतिक्रमण के विषय को उठाने में ‘विशाळगढ़ रक्षा एवं अतिक्रमण विरोधी कार्य समिति’ का अग्रणी योगदान !विशाळगढ़ पर अतिक्रमण के विषय को उठाने के लिए १४ मार्च २०२२ को श्री महालक्ष्मीदेवी की साक्षी में और ‘जय भवानी जय शिवाजी’ के जयघोष के साथ ‘विशाळगढ़ रक्षा एवं अतिक्रमण विरोधी कार्य समिति’ की स्थापना की गई। इसमें पहली बार १६ मार्च को समिति ने कोल्हापुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस प्रकरण को उठाया। इस अवसर पर समिति के प्रवक्ता श्री. सुनील घनवट ने विशाळगड पर हुए अतिक्रमण, मंदिरों और समाधियों की दुर्दशा, और पुरातत्व विभाग की आपराधिक अस्वधानी को पत्रकारों के सामने प्रस्तुत किया और ‘पुरातत्व विभाग किस प्रकार धर्मांधों के अतिक्रमणों को जान कर भी अवहेलना कर रहा है?’ यह साक्ष्यों के साथ प्रस्तुत किया। इसके बाद इस विषय को जन जन तक पहुंचाने के लिए १८ मार्च २०२२ को कोल्हापुर के छत्रपति शिवाजी महाराज चौक में पुरातत्व विभाग के विरुद्ध ‘घंटानाद आंदोलन’ किया गया। इसके पश्चात पिछले ३ वर्षों से समिति द्वारा मुख्यमंत्री को ज्ञापन देना, विधायिका सत्र के समय आंदोलन करना, वन मंत्री को ज्ञापन देना, विभिन्न जिलों में आंदोलन करना, स्थानीय स्तर पर ज्ञापन देना आदि माध्यमों से यह संघर्ष जारी रहा। गढ़ पर हो रही पशुबलि के कारण वहां की पवित्रता नष्ट हो रही थी और इसके विरुद्ध भी समिति ने कुछ समय पूर्व ही आंदोलन किया जिसके कारण ईद के दिन वहां एक भी पशुहत्या नहीं हुई। |