स्त्रीवादी संगठनों ने महिला सशक्तिकरण के नाम पर हिन्दू समाज को विभाजित किया ! – प्रा. मधु पूर्णिमा किश्वर, संपादिका, ‘मानुषी’, देहली
विद्याधिराज सभागृह – ‘‘स्त्रीवादी स्वयंसेवी संगठनों ने समाजसेवा के मुखौटे लगाकर स्वयं को चाहिए वैसे कानून पारित करवा लिए । प्रसारमाध्यम, न्यायव्यवस्था, नौकरशाही ये सभी इन स्त्रीवादी कहलानेवालों की कठपुतलियां हैं । इन स्त्रीवादी संगठनों ने महिला सशक्तिकरण, गरीबों को शिक्षा, अनुसूचित जाति-जनजाति को न्याय जैसे नाम पर हिन्दू समाज विभाजित किया ।’’ ऐसे उद़्गार देहली के ‘मानुषी’ नियतकालिक की संपादिका प्रा. मधु पूर्णिमा किश्वर ने व्यक्त किए । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के छठे दिन ‘स्त्रीवादियों द्वारा कानून का अनुचित लाभ उठाकर हिन्दू समाज विभाजित करने का प्रयास’, इस विषय पर वे बोल रही थीं ।
🚨The I$lamic invaders who set their feet in India perpetrated unimaginable atrocities on Hindu women. They had thousands of women in their harams, sold women in Meena bazaars and did sex slavery on an industrial scale
🚨As a distress response of Hindus to such atrocities,… pic.twitter.com/j6wO4t4Yur
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) June 29, 2024
प्रा. मधु पूर्णिमा किश्वर ने आगे कहा, ‘‘इन स्त्रीवादियों ने झूठे आरोप लगाकर हिन्दुओं को बदनाम करने का षड्यंत्र रचा । इन लोगों ने झूठे कथानक रचकर जम्मू के हिन्दुओं पर बडे प्रहार किए । उन्हें मुंह खोलना भी कठिन कर दिया । उन्होंने हिन्दुओं में अपराध की भावना वृद्धिंगत की । मुस्लिम लोग बुरहान वानी, दाऊद इब्राहिम जैसे आतंकवादियों के समर्थन में सडकों पर उतर आए । इसके विपरीत, हिन्दू समाज बलात्कार के आरोप से निर्दोष छूटने पर भी हिन्दू संतों के समर्थन में खडा नहीं हुआ ।
हिन्दू समाज में महिलाओं पर अत्याचार होने के झूठे कथानक रचकर हिन्दू धर्म को बदनाम किया गया एवं अन्याय दूर करने के नाम पर न्यायालयों द्वारा कानून पारित करवा लिए गए । ये कानून वेस्टर्न देशों में आवश्यक थे; क्योंकि वहां जादू-टोना आदि प्रकार अस्तित्व में थे । भारतीय संस्कृति में स्त्रीशक्ति को दैवी शक्ति संबोधित किया गया है ।’’ ऐसा प्रा. मधु पूर्णिमा किश्वर ने कहा ।