अल्पसंख्यकों के लिए बनाई हिन्दुओं के धर्मांतरण को प्रोत्साहन देनेवाली सरकारी योजनाएं बंद करो !
रामनाथी, गोवा – धर्मांतरण को प्रोत्साहन देनेवाली केंद्र सरकार की २०० योजनाएं हैं । प्रत्येक राज्य की योजनाएं मिलाकर भारत में अल्पसंख्यकों के लिए ५०० योजनाएं हैं । इसके अतिरिक्त अल्पसंख्यकों के लिए अन्य भी योजनाएं हैं । हिन्दुओं के कर (राजस्व) के माध्यम से अल्पसंख्यकों के लिए योजनाएं चल रही हैं । ये सभी योजनाएं धर्मांतरण को प्रोत्साहित करती हैं । ‘अल्पसंख्यकों के लिए योजना’ अर्थात धनवान हिन्दुओं के धन से निर्धन हिन्दुओं का धर्मांतरण ! यदि अल्पसंख्यकों के लिए सभी योजनाएं बंद करें, तो ही धर्मांतरण रोक सकते हैं, ऐसा वक्तव्य सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने किया । वे ‘रामराज्य एवं भारतीय संविधान’ विषय पर बोल रहे थे ।
I get inspiration from Chhatrapati Shivaji Maharaj, Veer Savarkar, Guru Gobind Singh in this fight for changes in the Constitution – @AshwiniUpadhyay Advocate, Supreme Court
📌 #MannKiBaat of Mr Upadhyay at the Vaishvik Hindu Rashtra Mahotsav
⚖️ 🏛👮🏻♂️The duty of destroying… pic.twitter.com/bHhTlGDCxF
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) June 30, 2024
अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय के भाषण के उद्बोधक विचार
हम कांग्रेस की निंदा करते हैं; परंतु उसके बनाए राष्ट्रघाती कानून अभी तक अस्तित्व में हैं !
श्रीकृष्ण, श्रीराम, श्री हनुमान आदि हिन्दुओं के देवताओं ने जिस भूमि में जन्म लिया, वह पवित्र भूमि बम विस्फोट, कट्टरतावाद, लव जिहाद, गोहत्या जैसी समस्याओं से पीडित क्यों है ? इन मानवनिर्मित समस्याओं का समाधान भी है । देश में अनेक हिन्दुत्वनिष्ठों की हत्याएं हुईं; परंतु किसी को भी कठोर दंड नहीं मिला । देश में लव जिहाद, धर्मांतरण जारी है । इसका कारण अपराधियों को कानून का भय नहीं रहा । कानून का भय निर्माण करने का कार्य सरकार एवं प्रशासन का है । धर्मांतरण के विरोध में मैंने न्यायालय में याचिका डाली है; परंतु मेरी याचिका रहित करने हेतु १० लोगों ने याचिकाएं डाली हैं । याचिका पर सुनवाई हेतु दिनांक के उपर दिनांक दी जा रही है । इसे रोकने हेतु संबंधित कानून संसद में एक दिन में हो सकता है । राज्यकर्ता एवं प्रशासन को इन समस्याओं का समाधान देना, यह उनका प्रथम कर्तव्य है । इन समस्याओं के समाधान हेतु अच्छे कानून निर्माण करना आवश्यक है । आपातकाल भूल था, तो उस काल में संविधान में किए गए परिवर्तन भी गैरकानूनी थे । मुगल एवं अंग्रेज सत्ता हेतु नहीं, अपितु धर्म का प्रचार करने हेतु भारत में आए थे । उनके कानून आज भी भारत में लागू हैं । हम कांग्रेस की निंदा करते हैं; परंतु कांग्रेस द्वारा बनाए गए राष्ट्रघाती कानून आज भी भारत में हैं ।
कानून बनाकर देश में स्थित दास्यता के सभी चिन्ह नष्ट करने चाहिए !
देहली में हुमायूं, बाबर, गजनी इन आक्रामकों के नाम पर सडकें हैं; परंतु महाभारत में जिन्होंने पराक्रम दिखाया, उन अर्जुन, भीम, युधिष्ठिर के नाम से सडकें नहीं हैं । कानून बनाकर संपूर्ण भारत के दास्यता के चिन्ह नष्ट करने चाहिए । हम कांग्रेस का देशद्रोह विशद करते हैं; परंतु उनके द्वारा बनाए गए राष्ट्रविरोधी कानून आज भी रद्द नहीं किए गए । ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप ऐक्ट’, ‘वक्फ कानून’ रद्द करना आवश्यक है ।
भारतीय नागरिता स्पष्ट करनेवाला कानून होना चाहिए !
संविधान कहता है, भारत में सभी नागरिक एक समान हैं, तो फिर धर्म के आधार पर भेदभाव क्यों ? संविधान में विद्यमान भ्रम दूर करना चाहिए । धर्म एवं रिलीजन की स्पष्ट परिभाषाएं संविधान में होनी चाहिए । भारत में जिहादियों को मिली नागरिकता रद्द करने हेतु हमारे यहां कानून नहीं है । भारतीय नागरिक कौन हैं ? यह स्पष्ट करनेवाला कानून प्रथम बनाने की आवश्यकता है ।