दिव्य कार्य करें दिव्य विभूति । आइए देखें वे क्षणमोती !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने प्रत्येक कार्य पहले स्वयं किया तथा उनकी बारीकियों का अध्ययन किया है । कार्य सूत्रबद्ध होने के लिए कार्यपद्धतियां बनाईं तथा तत्पश्चात ही वह साधकों को सिखाया । इसलिए अनेक साधक विविध क्षेत्रों में कार्य करने हेतु तैयार हो गए हैं । दिव्य कार्य दिव्य विभूतियों के हाथों से ही होता है । इस दिव्य कार्य के छायाचित्र स्वरूप में कुछ क्षणमोती यहां दिए हैं । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी ने जो सिखाया, उसके अनुसार साधना कर आइए हम अपने जीवन का कल्याण कर लें !

सार्वजनिक सभा (वर्ष १९९७)

धर्मजागृति करनेवाली फलक प्रदर्शनी

धर्मशिक्षा देनेवाले फलकों में सुधार बताते प.पू. डॉ. आठवलेजी, साथ में कु. अंजली क्षीरसागर (वर्ष २०१३)

 

 

आश्रमों की निर्मिति

वास्तुविशारद श्रीमती शौर्या मेहता से निर्माणकार्य की जानकारी प्राप्त करते प.पू. डॉक्टरजी (६.६.२००४)

साधकों को सेवा परिपूर्ण करना सिखाना

मूर्ति की आंखों में सजीवता प्रतीत होने के लिए उन्हें कैसे रंग लगाने चाहिए ? इस संदर्भ में साधक मूर्तिकार रामानंद परब को बताते हुए (वर्ष २०२०)

आध्यात्मिक दृष्टि से मूल्यवान वस्तुओं का संग्रह 

कांसे की कटोरी में अपनेआप निर्मित इत्र को उस कटोरी सहित कैसे जतन करना चाहिए, यह कु. सोनल जोशी को बताते हुए (५.६.२००८)

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना संबंधी मार्गदर्शन

हिन्दू जनजागृति समिति के कार्य के विषय में जानकारी देते समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु चारुदत्त पिंगळे (३१.५.२०१७)