IMA Chief Apologizes : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डाॅ. अशोकन ने की सर्वोच्च न्यायालय से क्षमा याचना !
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नई दिल्ली – इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. आर. व्ही. अशोकन ने सुप्रीम कोर्ट के विरोध में अपनी टिप्पणी के लिए सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगी है। इस संबंध में आईएमए ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा को कम करने के लिए डाॅ. अशोकन का कभी कोई उद्देश्य नहीं था’, प्रेस विज्ञप्ति में यह भी कहा गया।
क्या है प्रकरण ?
सर्वोच्च न्यायालय में उस मामले में आवेदन प्रविष्ट किया गया था जिसमें ‘पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड’ ने कथित रूप पर अपने उत्पादों के बारे में भ्रामक विज्ञापन प्रसारित किए थे। याचिकाकर्ताओं में आई.एम.ए. सम्मिलित थी । इस मामले की सुनवाई के समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आईएमए को भी अपना घर ‘ठीक’ करने की अवश्यकता है। उस वक्त कोर्ट ने निजी चिकित्सकों की अनैतिक गतिविधियों पर टिप्पणी की थी। पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में डॉ. अशोकन ने निजी डॉक्टरों पर सर्वोच्च न्यायालय के व्यवहार पर अप्रिय की और कहा कि कोर्ट ने जो व्यवहार अपनाया है वह उनकी प्रतिष्ठा के अनुकूल नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार!
इस इंटरव्यू पर संज्ञान लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के समय कहा था कि, ‘हम आपसे दायित्व पूर्ण करने की आशा करते है। आप अदालत के बारे में जो सोचते हैं उसे इस तरह किसी समाचार एजेंसी के सामने व्यक्त नहीं कर सकते। आपने अचानक ऐसा व्यवहार क्यों किया?’. उस पर डाॅ. अशोकन ने अदालत से क्षमा की मांग करते हुए एक प्रतिज्ञापत्र प्रस्तुत किया था; लेकिन कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया। उस समय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा डाॅ. अशोकन को सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगने को कहा गया। उसके बाद डाॅ. अशोकन ने सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगी है।
सर्वोच्च न्यायालय ने निजी डॉक्टरों की आलोचना की!
सुप्रीम कोर्ट ने उस समय कहा था, ‘एसोसिएशन के सदस्यों (डॉक्टरों) की अनैतिक गतिविधियों से जुड़ी कई आरोप है। इससे रोगियों का उन पर से विश्वास उठता जा रहा है। डॉक्टर न केवल मरीजों को महंगी दवाएं लिखते हैं, अपितु टालने योग्य टेस्ट की सलाह भी देते है। (सरकार या आईएमए इस बारे में कुछ नहीं करेगा, इसलिए कोर्ट को ऐसे डॉक्टरों के विरोध में कठोर कार्यवाही करनी चाहिए और उन्हें डी-प्रमाणित करना चाहिए। तभी नागरिकों का शोषण रुकेगा! – संपादक)
संपादकीय भूमिकाजब सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव को भ्रामक विज्ञापन प्रसारित करने के मामले में क्षमा मांगने को कहा, तो कई प्रसारमाध्यमोने इस खबर को समझदारी से रोचक बनाकर प्रसारित किया ; किंतु सुप्रीम कोर्ट ने इसी प्रकरण में पक्षकार रहे आईएमए के अध्यक्ष की भी बात सुनी और उनसे क्षमा मांगने को कहा। यद्यपि, इन संचारी को दबा दिया गया। इससे पता चलता है कि मीडिया में किस तरह हिन्दू विरोधी व्यवस्था काम कर रही है! |