वैश्विक हिंदू राष्ट्र महोत्सव का छठा दिन (29 जून) – न्याय एवं संविधान
न्याय व्यवस्था में परिवर्तन के लिए चलाया जाएगा आंदोलन ! – एडवोकेट घनश्याम उपाध्याय, अध्यक्ष, लॉयर्स फॉर जस्ट सोसाइटी, मुंबई
रामनाथी – डॉ. दाभोलकर हत्याकांड एक हत्या का प्रकरण है; लेकिन समस्त जांच एजेंसियों ने उसे अलग मोड़ दे दिया । यह प्रकरण सनातन साधकों को फंसाने के एकमात्र उद्देश्य से आरंभ किया गया था । इन प्रणालियों ने इस प्रकरण को उसी दिशा में एक ही पद्धति से आगे बढ़ाने का प्रयास किया । प्रकरण की जांच बहुत तनाव में की जा रही थी । ऐसे समय में न्यायाधीश निष्पक्ष नहीं रहता । इस प्रकरण पर उच्च न्यायालय की पैनी दृष्टि थी । इसलिए सभी पर उनका तनाव था । इस प्रकरण में आरोप पत्र प्रविष्ट किया गया था; लेकिन एक विरोधाभास था । इस प्रकरण को अदालत ने कई वर्षों तक खींचा तथा सनातन साधकों को इसकी बहुत पीड़ा सहनी पड़ी एवं सनातन संस्था की असीमित हानि हुई । हिंदुत्ववादी अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में न्याय व्यवस्था में परिवर्तन के लिए आंदोलन आरंभ किया जाएगा ।
Narendra Dabholkar case was a simple case of murder but it was given a colour of Hindu extremism and the whole system became biased and hostile towards us which is usually the case with many Hindu vs non Hindu cases
– Adv. Ghanshyam Upadhyay#Hindu_Legal_Force at Vaishvik Hindu… pic.twitter.com/fuYzmTdeaR— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) June 29, 2024
अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय ने आगे कहा कि आज न्यायालय में हिन्दू विरुद्ध गैर-हिंदू’ की लड़ाई चल रही है । आज के नक्सली तथा साम्यवादी विचारधारा के न्यायाधीश विलासपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं । उन्हें धर्म, संस्कृति अथवा मर्यादा किसीकी चिंता नहीं है । इन न्यायधीशों को धर्म का कोई ज्ञान नहीं है । यदि न्यायाधीश को न्यायशास्त्र, मर्यादा, धर्मशास्त्र, धर्म-अधर्म का ज्ञान हो तो वह उचित न्यायदान कर सकता है । राष्ट्र-विरोधी और धर्म-विरोधी लोगों का ‘इकोसिस्टम’ बहुत प्रभावी है । इससे निपटने के लिए अपने दबाव समूह को तैयार करना आवश्यक है ।
हिंदू राष्ट्र के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता ! – एडवोकेट संजीव पुनालेकर, सचिव, हिन्दू विधिज्ञ परिषद
डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में मुझे, विक्रम भावे तथा डाॅ. वीरेंद्र सिंह तावड़े को निर्दोष मुक्त कर दिया गया; लेकिन शरद कालस्कर तथा सचिन आंदुरे को दी गई सजा अन्यायपूर्ण है । हम इसके विरुद्ध उच्चन्यायलय में जायेंगे । हमें विश्वास है कि उच्चन्यायलय में उनकी निर्दोषता प्रमाणित होगी । यह झूठा प्रकरण हिन्दू समर्थक संगठनों की गतिविधियों को रोकने के लिए उठाया गया था; लेकिन हम इस कारण से हिन्दुत्व का कार्य नहीं रोकेंगे ।’ कुछ राजनेताओं ने सत्ता के लिए हिन्दुओं को फंसाने का प्रयास किया । स्वार्थपूर्ण राजनीति के कारण ही हिन्दू विभाजित हो रहे हैं । मां सरस्वती देवी का अपमान करने वाले नेता को महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में लिया गया। प्रत्येक राजनीतिक दल में ऐसे स्वार्थी नेता हैं । अधिवक्ता संजीव पुनालेकर ने कहा कि इन सबके विरुद्ध हिन्दुओं को एक साथ आकर हिन्दू राष्ट्र के लिए कार्य करने की आवश्यकता है । उनके भाषण को वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में ‘वीडियो’ के माध्यम से दिखाया गया था ।
मैं सीबीआई जांच अधिकारी सुभाष रामरूप सिंह को सजा दिलाने का प्रयास करूंगा ! – विक्रम भावे, साधक सनातन संस्था
रामनाथी – सीबीआई के जांच अधिकारी सुभाष रामरूप सिंह ने मुझे झूठे आरोप में बंदी बनाया । सिंह ने मुझे बताया कि उसे दूसरे राज्य में एक प्रकरण के अंतर्गत बंदी बनाया जा रहा है । सुभाष रामरूप सिंह ने मेरे विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल (दायर) कर दिया । मैंने जमानत के लिए आवेदन किया; लेकिन मेरी जमानत अर्जी निरस्त कर दी गई । मुझे झूठा बताकर जमानत देने से मना कर दिया गया कि मुझ पर आतंकवाद का आरोप है । इसलिए मुझे 2 वर्ष जेल में काटने पड़े, जबकि मैंने कोई अपराध नहीं किया था । बाद में न्यायालय ने मुझे निर्दोष मुक्त कर दिया ।
I was asked to falsely testify against Adv. Sanjeev Punalekar else face jail – Mr. Vikram Bhave @SanatanSanstha
📌 Highlights of Mr Bhave's talk at the Vaishvik Hindu Rashtra Adhiveshan on need of #Hindu_Legal_Force
🛑 My story of how I was implicated will seem to be something… pic.twitter.com/XydvVeRzsT
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) June 30, 2024
न्यायालय में प्रमाणित हुआ कि मुझे 2 वर्ष की जेल हुई जबकि कोई अपराध नहीं था । सीबीआई के जांच अधिकारी सुभाष रामरूप सिंह ने द्वेष की भावना से मेरे साथ अनुचित किया । ऐसे सुभाष सिंह को कड़ी सजा दिलाने का प्रयास करूंगा ।