वैश्‍विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव तृतीय दिन (२६ जून) : देश की सुरक्षा एवं धर्मरक्षा

ॐ प्रमाणपत्र के माध्यम से हलाल प्रमाणपत्र की इस्लामी अर्थव्यवस्था को रोकें ! – नरेंद्र सुर्वे, प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति, देहली

श्री. नरेंद्र सुर्वे

विद्याधिराज सभागार : विगत अनेक शताब्दियों से भारत पर इस्लामी आक्रमण हो रहे हैं । संबंधित कालावधि में आक्रांताओं ने आक्रमण की पद्धति बदली है । अमेरिका ने अपनी अर्थव्यवस्था के बल पर विश्व पर राज किया । विश्व पर राज करने हेतु अर्थव्यवस्था मजबूत करनी पडेगी, यह बात ध्यान में आने पर प्रथम ‘इस्लामिक बैंकींग’ आरंभ हुआ । भारत में कांग्रेस के कार्यकाल में तत्कालिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंग ने भारत में ‘इस्लामिक बैंकिंग’ को अनुमति दी थी; परंतु उनकी सरकार चली जाने से उस पर कार्यवाही नहीं हुई । उसके उपरांत हलाल प्रमाणपत्र आरंभ किया गया । वर्ष २०१७ में हलाल प्रमाणपत्र से संबंधित अर्थव्यवस्था २.१ यू.एस्. ट्रिलियन डॉलर्स (१ सहस्र ७५४ लाख करोड) रुपए से अधिक थी । वर्ष २०२८ तक हलाल प्रमाणपत्र से संबंधित अर्थव्यवस्था ४ यू.एस्. ट्रिलियन डॉलर्स (३ सहस्र ४०० लाख करोड रुपए से अधिक) तब बढने की संभावना है । जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस इन देशों में हलाल प्रमाणपत्र का विरोध हो रहा है । उत्तरप्रदेश में नवंबर २०२३ में हलाल प्रमाणपत्र पर प्रतिबंध लगाया गया है । प्रतिबंध के उपरांत की गई कार्यवाही में उत्तरप्रदेश में ३ सहस्र किलो हलाल उत्पाद जब्त किए गए । महाराष्ट्र में तीर्थस्थलों पर स्थित दुकानों में निकृष्ट गुणवत्तावाला प्रसाद बेचा जाता है; उसके कारण तीर्थस्थलों पर स्थित प्रसाद के दुकानों को ‘ॐ प्रतिष्ठान’ की ओर से ‘ॐ प्रमाणपत्र’ दिया जानेवाला है । ॐ प्रमाणपत्र के माध्यम से हिन्दू हलाल प्रमाणपत्र को झटका दें ।


केरल की कांग्रेस को तथा वहां की वामपंथी सरकार को शबरीमला मेला होने नहीं देना है ! – टी.बी. शेखर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, शबरीमला अयप्पा सेवा समाजम्

टी.बी. शेखर

रामनाथी – ‘शबरीमला अय्यप्पा सेवा समाजम्’की स्थापना वर्ष २००८ में मिजोरम के पूर्व राज्यपाल कुमारम् राजशेखरची की अध्यक्षता में की गई । ‘सर्व्ह अय्यप्पा सेव्ह शबरीमला’ (अय्यप्पा स्वामीजी की सेवा करें, शबरीमला की रक्षा करें), इस उद्देश्य से ‘शबरीमला अय्यप्पा सेवा समाजम्’की स्थापना की गई । शबरीमला आनेवाले भक्तों को भगवान अय्यप्पा का सुरक्षित तथा बिना किसी असुविधा से व्यवस्थित दर्शन हो, इसके लिए यह संस्था कार्यरत है; क्योंकि यहां आनेवाले यात्रियों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड रहा है । केरल में अभी तक सत्ता में रही कांग्रेस अथवा वामपंथियों की सरकारें हिन्दूविरोधी हैं । उन्हें हिन्दू यात्रियों यात्रा निर्विघ्नरूप से संपन्न हो, ऐसा नहीं होने देना है । उसके लिए वे इस मेले में अनेक बाधाएं उत्पन्न करते हैं, ऐसा प्रतिपादन शबरीमला अयप्पा सेवा समाजम् के राष्ट्रीय अध्यक्ष टी.बी. शेखर ने वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में किया । वर्ष २०१७ से श्री. टी.बी. शेखर ‘शबरीमला अय्यप्पा सेवा समाजम्’के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं ।

श्री. शेखर ने आगे कहा कि केरल सरकार अन्नदान का विरोध करती है । भगवान अय्यप्पा ‘अन्नदान प्रभु’ के नाम से विख्यात हैं । अन्नदान करने हेतु भी ‘शबरीमला अय्यप्पा सेवा समाजम्’को न्यायालय जाकर अनुमति लेनी पडी । शबरीमला रथयात्रा ४८ दिन चलती है । इस मेले की अवधि में प्रतिदिन ८० सहस्र यात्री शबरीमला आते हैं । इन यात्रियों के लिए ‘शबरीमला अय्यप्पा सेवा समाजम्’ने केरल में १४० अन्नदान केंद्र खोले हैं । यहां प्रति ५० किलोमीटर पर एक अन्नदान केंद्र खोला गया है । ईसाईयों ने शबरीमला परिसर में एक चर्च बनाने का प्रयास किया; परंतु हिन्दुओं के विरोध के कारण वह काम बंद हुआ । आरंबोल में हवाई अड्डा बनाने हेतु वहां का ध्वजस्तंभ हटाने का प्रयास किया गया ।

शबरीमला मंदिर में विराजमान भगवान अय्यपा ‘चिन्मय’ मुद्रा में हैं; इसलिए मंदिर परंपरा के अनुसार इस मंदिर में १० वर्ष से अधिक लडकियों तथा ५० वर्ष के नीचे की महिलाओं को प्रवेश वर्जित है । वर्ष २०१९ में सर्वाेच्च न्यायालय ने सभी आयुसमूह की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने का निर्णय दिया । इस निर्णय के विरुद्ध ६० सहस्र महिलाओं ने सडक पर उतरकर आंदोलन कर मंदिर की परंपरा तोडने का विरोध किया । उसके कारण मंदिर की यह प्रथा जारी रही । वैटिकन एवं मक्का के उपरांत शबरीमला में सर्वाधिक यात्री आते हैं । सरकार को यहां आनेवाले यात्रियों की संख्या अल्प करनी है, उसके कारण वे बाधाएं उत्पन्न करते हैं ।


गोरक्षा का कार्य करते समय भगवान ने हमारी रक्षा की ! – सतीश कुमार, राष्ट्रीय अध्यक्ष, गोरक्षा दल तथा राष्ट्रीय संगठनमंत्री, श्री हिन्दू तख्त, पंजाब

सतीश कुमार

गोवा – गाय बची, तभी जाकर विश्व बचेगा । सरकार अपना कार्य करेगी; परंतु राष्ट्र, धर्म एवं गोरक्षा का कार्य करना हो, तो उसके लिए लडना पडेगा । धर्म एवं अधर्म के मध्य निश्चित ही युद्ध होनेवाला है । एक न एक दिन हिन्दुओं को आरपार की लडाई लडनी पडेगी । उसके लिए हिन्दुओं को अभी से तैय्यारी करनी पडेगी । अभी भी भारत में गोहत्या तथा पशुवधगृह बंद नहीं हुए हैं । गोरक्षकों के कष्टों में कोई न्यूनता नहीं आई है । आज भी गोरक्षकों को ही गिरफ्तार किया जाता है । गोरक्षा का कार्य करते समय हम पर अनेक आक्रमण हुए; परंतु उसमें भी भगवान ने हमारी रक्षा की । देवता, धर्म, राष्ट्र तथा गोमाता की रक्षा की, तभी हमें आनंद मिलनेवाला है । सरकार गोमाता को राष्ट्रीय पशु घोषित कर गोहत्या बंद करे, यह हमारी मांग है; ऐसा प्रतिपादन गोरक्षा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश कुमार ने वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के तृतीय दिन अर्थात २६ जून को किया ।

सतीश कुमार द्वारा कारागृह में की गई साधना

गोरक्षा के कार्य के कारण मैं स्वयं ३ वर्ष कारागृह में था । वहां मैंने भगवान का नामस्मरण किया, साथ ही ५ ग्रंथ लिखे । जिस दिन मुझे कारागृह में डाला गया, उस दिन श्रीकृष्णजन्माष्टमी थी । मृत्यु तो प्रत्येक व्यक्ति को आने ही वाली है । वो कष्ट शरीर से संबंधित हैं, मन से नहीं ! इसलिए धर्म का कार्य करना हो, तो भय छोड देना चाहिए ।

विगत कुछ वर्षाें से हिन्दू जनजागृति समिति भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु प्रयास कर रही है । गोवा की भूमि में हो रहे ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशनों’ से हिन्दू राष्ट्र की मांग उठी थी, जो अब संपूर्ण देश से उठ रही है !

– सतीश कुमार, राष्ट्रीय अध्यक्ष, गोरक्षा दल


हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु युवकों को शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर बलशाली बनना चाहिए ! – प्रज्वल गुप्ता, अध्यक्ष, हिन्दू जनसेवा समिति

श्री. प्रज्वल गुप्ता

विद्याधिराज सभागार : हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करनी हो, तो युवकों को हिन्दू राष्ट्र हेतु प्रेरित करना पडेगा, साथ ही युवकों को शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर बलशाली बनना पडेगा । धर्म के कारण ही समाज की रक्षा होनेवाली है; इसलिए धार्मिक कार्यक्रमों के माध्यम से हिन्दुओं को जागृत करना पडेगा, ऐसा प्रतिपादन श्री. प्रज्वल गुप्ता ने किया ।

श्री. प्रज्वल गुप्ता ने युवकों का संगठन करने हेतु काकोरी (जि. लक्ष्मणपुरी) में हिन्दू जननसेवा समिति की स्थापना की । उन्होंने आगे कहा, ‘‘लक्ष्मणपुरी के आसपास के परिसर में वर्ष २०१२ से २०१५ की अवधि में ईसाईयों द्वारा बडे स्तर पर धर्मांतरण किया जा रहा था । उसके लिए हमने वर्ष २०१६ में १ सहस्र २०० धर्मांतरित घरों में कलशों की स्थापना की तथा उनसे यज्ञ में आहुति डालने का आवाहन किया । उसके उपरांत हमने ५-५ युवकों को एक-एक मंदिर का दायित्व सौंपा । इस प्रकार हमने ५०० युवकों को १०० मंदिरों से जोडा है । इन मंदिरों में प्रतिसप्ताह एक बार स्वच्छता की जाती है, साथ ही हनुमानचालीसा का पाठ किया जाता है तथा नामसंकीर्तन किया जाता है ।’’