Kerala Name Change : ‘केरल’ का नाम परिवर्तित कर ‘केरलम्’ रखने का प्रस्ताव विधानसभा में एकमतता से पारित !

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन

तिरूवनंतपुरम (केरल) – केरल राज्य का नाम परिवर्तित कर वह ‘केरलम्’ किया जाए, ऐसी मांग करनेवाला प्रस्ताव केरल की विधानसभा ने एकमत से पारित किया । राज्य का नाम केरलम् किया जाए, ऐसी केरल के सभी राजनीतिक दलों की मांग हैं । इस मांग को किसी का भी विरोध नहीं है । पिछले वर्ष भी ऐसा ही प्रस्ताव सहमत किया गया था एवं ‘राज्य का नाम परिवर्तित किया जाए’, ऐसी विनती केंद्र सरकार से की गई थी ।

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने यह प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा, ‘हमारे राज्य का मलयालम भाषा में नाम ‘केरलम्’ है । परंतु संविधान के प्रथम अनुसूची में राज्य का नाम ‘केरल’ लिखा गया है । इस कारण राज्य की यह विधानसभा एकमतता से केंद्र सरकार से विनती करती है कि संविधान की धारा ३ के अनुसार तुरंत कदम उठाकर राज्य का नाम ‘केरलम्’ करें ।’

‘केरलम्’ नाम क्यों ?

सम्राट अशोक के कुल १४ प्रमुख शिलालेख हैं । उनमें से दूसरे शिलालेख पर ‘केरलम्’ उल्लेख किया गया है । ईसाई पूर्व २५७ के समय का यह शिलालेख है । इस शिलालेख पर ‘केतलपुत्र’ (केरलपुत्र) ऐसा शब्द नोट किया गया है । ‘केरलपुत्र’ यह संस्कृत शब्द का अर्थ ‘केरल का सुपुत्र’ होता है । इस में चेरा राजवंश का संदर्भ दिया गया है । ‘चेरा’ यह दक्षिण भारत के प्रमुख ३ राजवंशों में से एक था । जर्मन भाषा वैज्ञानिक डॉ. हर्मन गुंडर्ट ने नोट किया है कि ‘चेरम’ को कन्नड में ‘केरम’ यह शब्द का प्रयोग किया जाता था । कर्नाटक के गोकर्ण एवं तमिलनाडु के कन्याकुमारी के मध्य तटों के क्षेत्र का उल्लेख करने हेतु इस शब्द का प्रयोग किया जाता था । कदाचित इस शब्द की उत्पत्ति ‘चेर’ शब्द से ही हुई होगी, ऐसा भाषा वैज्ञानिकों का अनुमान है । ‘चेर’ शब्द का तमिल भाषा में पुराना अर्थ ‘जोडना’, होता है ।

नाम परिवर्तित करने की प्रक्रिया !

किसी भी राज्य अथवा शहर का नाम परिवर्तित करने हेतु प्रथम केंद्रीय गृहमंत्रालय से स्वीकृति मिलना आवश्यक होता है, साथ ही संसद में संविधान तोड-जोड की प्रक्रिया कार्यान्वित करनी पडती है । इस के लिए राज्य का नाम परिवर्तित करने की मांग करनेवाला प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजना पडता है । तदुपरांत देश के रेल मंत्रालय, गुप्तचर विभाग, पोस्ट विभाग, भारतीय सर्वेक्षण विभाग आदि विभागों द्वारा ‘आपत्ति नहीं प्रमाणपत्र’ (No objection certificate) देने के उपरांत ही केंद्रीय गृहमंत्रालय राज्य का नाम परिवर्तित करने की स्वीकृति देता है ।