Pakistan Religious Minority : पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक असुरक्षित !
पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ की स्वीकृति !
इस्लामाबाद (पाकिस्तान) – पाकिस्तान के सुरक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ ने स्वीकार करते हुए कहा, ‘पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की प्रतिदिन हत्या की जा रही है । पाकिस्तान में कोई भी धार्मिक अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं है । मुस्लिमों के छोटे पंथ भी सुरक्षित नहीं है ।’ प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की सरकार ने ईशनिंदा (कुरान एवं मुहम्मद पैगंबर का अनादर) आरोपों से संबंधित घटनाओं में भीड द्वारा संबंधित लोगों की होनेवाली हत्याओं की हाल ही की घटनाओं का निषेध करनेवाला प्रस्ताव संसद में रखने का प्रयास किया । उस समय आसिफ बोल रहे थे । उन्होंने आरोप लगाते हुए आगे कहा, ‘बहुत से पीडितों का ईशनिंदा आरोपों से संबंध नहीं था; परंतु व्यक्तिगत द्वेष (प्रतिशोध) के कारण उन्हें लक्ष्य किया गया ।’
१. ख्वाजा आसिफ ने आगे कहा, ‘हमें अपने अल्पसंख्यक भाईयों की रक्षा करनी चाहिए । उन्हें इस देश में रहने का उतना ही अधिकार है, जितना बहुसंख्यकों को है । पाकिस्तान सभी पाकिस्तानी लोगों का है, चाहे वे मुसलमान, ईसाई, सिक्ख, अथवा अन्य किसी भी धर्म के हों । हमारा संविधान अल्पसंख्यकों के पूर्ण सुरक्षा की गारंटी देता है । (तो फिर उसके अनुसार अबतक शासकों ने ऐसा व्यवहार क्यों नहीं किया ? क्या आसिफ यह बता सकेंगे ? – संपादक)
२. ख्वाजा आसिफ ने कहा कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्साफ (पीटीआइ) दल के दृढता से विरोध करने से पाकिस्तान सरकार ईशनिंदा के विषय में प्रस्ताव नहीं रख सकी ।
पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून पूरे विश्व का सबसे कठोर कानून !
पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून विश्व का सबसे कठोर कानून है एवं देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों पर उसका गंभीर परिणाम हो रहा है । पाकिस्तान दंड संहिता में अंतर्भूत यह कानून इस्लाम, प्रेषित मुहम्मद एवं कुरान का अनादर करनेवालों को मृत्युदंड जैसा कडा दंड देता है ।
पाकिस्तान के ‘डॉन’ समाचारपत्र में कहा है कि ईसाई, हिन्दू एवं सिक्ख सहित धार्मिक अल्पसंख्यकों को ईशनिंदा कानून के अंतर्गत असमानता रखते हुए आरोपी तथा दोषी प्रमाणित किया जाता है । मुस्लिमों में अल्पसंख्यक पंथ के अहमदिया मुस्लिमों को भी पीडित किया जाता है; क्योंकि उन्हें पाकिस्तान के संविधान में मुस्लिम नहीं माना जाता । २५ मई को सरगोधा शहर में एक ईसाई व्यक्ति को पीटा गया एवं उसका घर जला दिया गया । यह पीडा केवल ईशनिंदा के आरोपों तक सीमित नहीं है, इसके आगे हिन्दू एवं सिक्ख अल्पसंख्यकों को खास कर सिंध प्रदेश के अल्पसंख्यकों को सामाजिक भेदभाव का सामना करना पडता है तथा उनकी बेटियों का कईबार अपहरण किया जाता है । साथ ही उन्हें धर्मांतरित कर उनका मुस्लिम पुरुष से विवाह रचाया जाता है ।
संपादकीय भूमिका
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