नेपाल में समाजिक संस्था और राजनेता विदेशी लोगों के गुलाम ! – श्री. शंकर खराल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, विश्‍व हिन्दू महासंघ, नेपाल

राष्ट्ररक्षा एवं हिन्दू राष्ट्र के लिए हिन्दूसंगठन

श्री. शंकर खराल

विद्याधिराज सभागृह – नेपाल बहुसंख्यक सनातनी हिन्दुओं का देश है । यहां का राष्ट्रध्वज और दिनदर्शिका, दोनों सनातनी हैं । प्राचीन काल में भारत के ऋषि-मुनि नेपाल में तपस्या करने के लिए आते थे । इसलिए नेपाल भी एक तपोभूमि है । इस तपोभूमि पर निश्चितरूप से हिन्दू राष्ट्र आएगा । उसके लिए हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन और धर्माभिमानी एक घोषणापत्र निकालकर नेपाल को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की मांग करें, ऐसा प्रतिपादन नेपाल के विश्व हिन्दू महासंघ के वरिष्ठ अध्यक्ष श्री. शंकर खराला ने ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’में द्वितीय दिन किया । वे ‘नेपाल को पुन: हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए चलाए जानेवाले अभियान, उसे मिलनेवाला प्रतिसाद और आनेवाली चुनौतियां’ इस विषय पर बोल रहे थे ।

श्री. खरालजी ने कहा, ‘‘नेपाल पर आज भी भारत का बहुत प्रभाव है । भारत में ‘भारत’ और ‘इंडिया’, ऐसी दो विचारधाराएं हैं । भारत को लगता है कि नेपाल और भारत में मित्रता का संबंध होना चाहिए; परंतु ‘इंडिया’ को वैसा नहीं लगता । नेपाल में सामाजिक संस्थाएं और राजनेता विदेशी अनुदान की बडी राशि स्वीकारते हैं । इसलिए वे विदेशी शक्तियों के गुलाम बन गए हैं । सत्ता में उनका अधिक सहभाग होने से नेपाल का लोकतंत्र निधर्मी है । नेपाल में आदिवासियों को पहले बौद्ध बनाया जाता है । फिर ईसाई पंथ में उनका धर्मांतरण किया जाता है ।’’