वैश्‍विक हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन – द्वितीय दिवस (२५ जून) उद़्‍बोधन सत्र – विविध राज्यों में हिन्दुओं की दुर्दशा

सभी दुर्दशाओं का एक मात्र समाधान साधना ही है । – स्वामी निर्गुणानंद पुरी, कोषाध्यक्ष और शाखा सचिव, इंटरनेशनल वेदांत सोसाइटी, बंगाल

स्वामी निर्गुणानंद पुरी

रामनाथी देवस्थान – कम्युनिस्टों के शासन में बंगाल में राजनीतिक स्थिति चिंताजनक हो गई। कम्युनिस्ट सरकार ने हमारी परंपरा एवं संस्कृति को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है। इस काल में हिन्दू समाज की स्थिति बहुत चिंताजनक हो गयी। हिन्दूओ ने मंदिरों में जाना बंद कर दिया है। आज बंगाल में हिन्दूओं के गांव से पलायन के कारण गांव वीरान हो गए हैं। इन गांवों पर मुसलमानों ने अधिकार कर लिया है। यहां के आदिवासी, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति को हिन्दू धर्म से अलग किया जा रहा है। उनसे कहा जा रहा है कि वे हिन्दू नहीं हैं। असत्य कहानियां बनाकर इन लोगों को छला जा रहा है। हिन्दू समाज को विभाजित किया जा रहा है। बंगाल के स्वामी निर्गुणानंद पुरी कहते हैं कि साधना सभी समस्याओं का समाधान है। वह ‘बंगाल में हिंदू संघ के समक्ष चुनौतियां तथा समाधान’ विषय पर बोल रहे थे।

उन्होंने आगे कहा कि जैसे-जैसे शत्रु की शक्ति में वृद्धि होगी समस्याओं में भी वृद्धि होगी। हमें अपने शत्रु को जानना चाहिए तथा उससे दूर भागने के बदले उसका साहसपूर्वक सामना करना चाहिए। हमें कथानकों के उत्तर में प्रति कथानकों की रचना करनी चाहिए ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना कश्मीर से हो ! – विठ्ठल चौधरी, अध्यक्ष, यूथ फॉर पनून कश्मीर, देहली

श्री.विठ्ठल चौधरी

रामनाथ देवस्थान –  आक्रामकों ने कश्मीर को हिन्दुओं से छीन लिया है । वामन भगवान विष्णु ने पहले चरण में बलीराजा से भूमि ले ली । उसीप्रकार हिन्दू राष्ट्र के लिए पहला कदम कश्मीर में रखना चाहिए । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना कश्मीर से हो । पंद्रहवीं शताब्दी से कश्मीर से कश्मीरी हिन्दुओं का विस्थापन शुरू है । वर्ष १९९० में जो विस्थापन हुआ, वह कश्मीरी हिन्दुओं का ७ वां विस्थापन है । गत १०० वर्षों में कश्मीरी हिन्दुओं का ४ बार विस्थापन हुआ है; परंतु हमारा दुर्भाग्य है कि ‘कश्मीर फाइल्‍स’ फिल्म आने के उपरांत भारतीयों को कश्मीर की स्थिति पता चली । भारत स्वतंत्र हो गया, तब कश्मीर में हिन्दुओं की संख्या १४.१ प्रतिशत थी । वर्तमान में कश्मीरी हिन्दुओं की संख्या ०.००१ प्रतिशत है । कश्मीरी हिन्दुओं के पुनर्वसन के लिए ‘एक भारत अभियान’ चलाया गया था । इसके लिए भारत में विविध स्थानों पर २० मोर्चे निकाले गए और १०० सभाएं ली गईं । २५० से भी अधिक संगठनों ने इसे समर्थन दिया । अब पुन: इस अभियान के दूसरे चरण में जाने की आवश्‍यकता है, ऐसा मत श्री. विठ्ठल चौधरीजी ने ‘कश्मीरी पुनर्वसन कैसे होगा ?’ इस विषय पर बोलते हुए व्यक्त किया ।

तमिलनाडु के कन्याकुमारी और अन्य कुछ जिलों में चर्च की सत्ता चलती है ! – अर्जुन संपत, संस्थापक अध्यक्ष, हिन्दू मक्‍कल कत्छी, तमिलनाडु

श्री.अर्जुन संपत

रामनाथी देवस्थान – तमिलनाडु में ‘सेक्‍युलरीजम’ अब शेष नहीं रह गया । यहां हिन्दुओं को यही नहीं पता कि ‘वे हिन्दू हैं’ । उन्हें केवल इतना पता है कि वे तमिल हैं । तमिलनाडु में आजकल सत्ता में भारतविरोधी, सनातनविरोधी और ब्राह्मणविरोधी हैं । तमिल लोग फिल्मों के चहेते हैं । वे अपना नेता फिल्मों से ही चुनते हैं । तमिलनाडु में सरकार ‘हिन्दू धर्मादाय मंडल’पर उनके ही लोगों को नियुक्त करती है । सत्ताधारी द्रमुक समान द्रविडी पक्ष के नेता सनातन धर्म को नष्ट करने पर तुले हैं । तमिलनाडु के लोग हिन्दू धर्म का पालन करते हैं; परंतु चुनावों में द्रमुक को चुनते हैं । हिन्दुओं में जागृति हो रही है । इसलिए लोकसभा के चुनावों के लिए भाजपा को १२ प्रतिशत मत मिले । तमिलनाडु में भी आगे सनातन भूमि होगी । हिन्दू राष्ट्र हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है । प्रथम भारत में हिन्दू राष्ट्र की निर्मिति होगी और तदुपरांत जगभर में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी । भारत बलशाली बनने पर संपूर्ण जग बलशाली बनेगा, ऐसे उद्गार श्री. अर्जुन संपत ने व्यक्त किए । ‘तमिलनाडु की सरकार की हिन्दूविरोधी मानसिकता, उसका होनेवाला परिणाम और उपाय’ इस विषय पर वे बोल रहे थे ।

श्री. अर्जुन संपत आगे बोले,

१. तमिलनाडु में हिन्दू लोकसंख्या अल्प हाे रही है और मुसलमानों की लोकसंख्या बढ रही है । ऐसी स्थिति है । अब वे ‘वोट जिहाद’का (हिन्दूविरोधी और राष्ट्रविरोधी पक्षों को एकगठ्ठा मतदान करना) अवलंब कर रहे हैं ।

२. तमिली ईसाइयों में केवल बिशप की (चर्च में वरिष्ठ पादरी) की सत्ता चलती है । चर्च को देते हैं । तमिलनाडु के कन्याकुमारी और अन्य कुछ जिलों में चर्च की सत्ता चलती है; कारण वहां ईसाई बहुसंख्यक हैं ।

३. द्रमुक सरकार क्रिप्टो ईसाई (ईसाई हित सामने रखकर चलाई जानेवाली) सरकार है । हिन्दू मत विभाजित हो गए हैं । राज्य के २०० से भी अधिक मंदिर द्रमुक सरकार ने उद़्‍ध्‍वस्त किए हैं ।

४. शहरी नक्सलवादियों के विरोध में सभी अभियोग द्रमुक सरकार ने पीछे ले लिए हैं । तमिलनाडु में १६० हिन्दू कार्यकर्ताओं की जिहादियों ने हत्या की है ।