अफ्रीका के लोगों को सनातन धर्म का महत्त्व ध्यान में आ गया, तो वहां बडी मात्रा में प्रसार होगा ! – पू. श्रीवास दास वनचारी, इस्कॉन, घाना, अफ्रीका
रामनाथी (गोवा), २४ जून (वार्ता.) – सनातन धर्म अनादि अनंत है । सनातन धर्म लाखों वर्ष पुराना है । सनातन धर्म, सभी धर्मों का मूल है । प्रभुपाद स्वामीजी ने अमेरिका में ‘इस्कॉन’की स्थापना की । इस माध्यम से उन्होंने सनातन धर्म का जगभर प्रसार किया । उन्होंने सनातन धर्म के विविध ग्रंथों का जगभर की विविध भाषाओं में भाषांतर किया । जगभर में महाभारत का एक विशेष महत्त्व है । अफ्रीका में सनातन धर्म का प्रसार बडी मात्रा में हो रहा है । अफ्रीका में हिन्दुओं के ५७ मंदिर हैं । अफ्रीका में रामायण और भगवद्गीता का अध्ययन किया जाता है । वहां के ईसाई हिन्दू धर्म का विरोध करते हैं । वे नहीं चाहते कि हिन्दू धर्म का प्रचार अफ्रीका में हो; फिर भी हम ‘हरिनाम’ कहते हुए उनके सामने जाते हैं ।
अफ्रीका के लोग कुंभकर्ण समान सोए हुए हैं । उन्हें सनातन धर्म का महत्त्व समझ में आ गया, तो वहां सनातन धर्म का और बडी मात्रा में प्रसार होगा । घाना में अनेक लोग हिन्दू धर्म स्वीकार रहे हैं । वहां सनातन धर्म के अंतर्गत सामाजिक और आध्यात्मिक कार्य हो रहा है ।