SANATAN PRABHAT EXCLUSIVE : प्रदेश में धर्मार्थ चिकित्सालयों का ‘छूट घोटाला’ उजागर !

  • हर महीने सरकार को छल कर करोडों रुपये लुटे जाते है !

  • एक ही ट्रस्ट के कई चिकित्सालय स्थापित कर छूट ली जा रही है !

  • योजनाओं के लाभ से निर्धन वंचित !

श्री. प्रीतम नाचनकर, मुंबई

मुंबई, २२ जून (वार्ता) – सरकार निर्धन रोगियों को निशुल्क या अल्प व्यय पर उपचार कराने हेतु धर्मार्थ चिकित्सालयों को प्रति माह लाखों रुपये की छूट दे रही है। बदले में, धर्मार्थ चिकित्सालय ने निर्धन एवं निसहाय रोगियों को निःशुल्क या अल्प रुपये में उपचार प्रदान करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य हैं। राज्य में कई धर्मार्थ चिकित्सालयो ने जिलों में एक ही ट्रस्ट व एक ही नाम से चिकित्सालय आरंभ कर दिए हैं। इन सभी चिकित्सालयो को सरकार से प्रतिमाह करोडों रुपये की छूट मिल रही हैं; किंतु इनका लाभ निर्धन व निसहाय रोगियों को नहीं मिल पाता है । ऐसा भ्रष्टाचार महाराष्ट्र के कई ख्यातिप्राप्त चिकित्सालयो में भी चल रहा है ।

इसे समझते हुए सरकार के कानून एवं न्याय विभाग ने राज्य के २ चिकित्सालयो को नोटिस भेजी है । इसमें पुणे का एक चिकित्सालय भी सम्मिलित है । अन्य जिलों में भी सरकार इस बात की जांच करने में जुट गई है कि ‘क्या निर्धन रोगियों को छूट दी जा रही है?’

एक चिकित्सालय का ८ करोड रुपये का आयकर (इनकम टैक्स) बच गया !

निर्धन रोगियों को सहायता देने के लिए धर्मार्थ चिकित्सालयों को आयकर में छूट दी जाती है। कानून एवं न्याय विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस छूट के कारण राज्य के एक धर्मार्थ चिकित्सालय ने सालाना 8 करोड रुपये आयकर (इनकम टैक्स) बचाया है । इससे ज्ञात होता है कि धर्मार्थ चिकित्सालय सरकार से छूट लेकर अधिक लाभ उठा रहे हैं।

प्रशासन में वास्तव में लाभ उठाने वाले कौन है ?

क्या असहाय तथा निर्धन रोगियों को धर्मार्थ चिकित्सालयो मे छूट दी जाती हैं ? इसकी जांच के लिए सरकार ने हर जिले में जिलाधीकारी की अध्यक्षता में एक समिती का गठन किया है । इस समिती को हर ३ महीने में इस संबंध में सरकार को रिपोर्ट सौंपना अनिवार्य है । सरकार ने इसके लिए अलग से शासनादेश लागू किया है। इसके उपरांत भी एक ही ट्रस्ट के नाम पर कई चिकित्सालय स्थापित करना और निर्धनों को छूट न देना राजनेताओं और प्रशासन के ‘गठबंधन’ तथा सरकार की चाटुकारिता नीति के कारण ही हो सकता है। अतः सरकार से यह पता लगाने की अपेक्षा की जाती है कि प्रशासन में वास्तव में लाभ उठाने वाले ‘कौन है जो धर्मार्थ चिकित्सालय के इस खुले भ्रष्टाचार को छुपा रहा है। ऐसी जांच करके उनपर सरकार द्वारा कार्यवाही करना अपेक्षित है ।

सरकार से अरबों रुपये लेकर गरीबों को लाभ नहीं देने वाले चिकित्सालयोनका भ्रष्टाचार जानिए !

महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के गरीब रोगियों को मुफ्त और छूट में इलाज उपलब्ध कराने के लिए धर्मार्थ चिकित्सालयों को बहुत ही मामूली कीमत पर करोडों रुपये की जमीन दी है। इसके साथ ही धर्मार्थ चिकित्सालयो को उनके आयकर में ३० प्रतिशत की छूट दी जाती है। इससे इन धर्मार्थ चिकित्सालयोन की साल में करोडों रुपये की बचत होती है। इसके साथ ही सरकार धर्मार्थ चिकित्सालयोन को बिजली और पानी के भुगतान में भी छूट देती है। धर्मार्थ चिकित्सालयोन को अपनी कुल आय का २ % निधी से गरीब रोगियों के लिये १० % बेड आरक्षित करके उनका विनामूल्य उपचार करना और गरीब रोगियों को १० % बेड आरक्षित करके उन्हे ५० % छूट देकर उपचार देना बंधनकारक है। इसके लिए सरकार ने ‘महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट मैनेजमेंट एक्ट, १९५०’ भी बनाया है ।


जो चिकित्सालय सरकार से छूट लेता है उसे गरीबों को छूट देनी ही होंगी !

यहां तक कि अगर किसी धर्मार्थ चिकित्सालय को सरकार द्वारा जमीन नहीं दी जाती है, तो उसे आयकर, बिजली और पानी के शुल्क से छूट दी जाती है, और यदि चिकित्सालय एक और शाखा स्थापित करता है और वह उसी नाम के तहत है या मूल चिकित्सालय से होने वाले फायदे का उपयोग किया जाता है तो उस चिकित्सालय को गरीब रोगियों को सेवा में छूट देना अनिवार्य है,ऐसा कानून और न्याय विभाग के एक अधिकारी ने कहा ।

संपादकीय भूमिका 

क्या किसी सरकार का एक भी खाता है कि कोई घोटाला नहीं हुआ है ? जब तक घोटालेबाजों तथा उनकी सहायता करने वालों को कठोर दण्ड नहीं दिया जाएगा, तब तक इस तरह के प्रकरण होते रहेंगे ।