Naseeruddin Shah : (और इनकी सुनिए…) ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गोल टोपी पहने हुए देखना है !’ – अभिनेता नसरुद्दीन शाह
लगातार राष्ट्रविघातक वक्तव्य देनेवाले अभिनेता नसरुद्दीन शाह का निरर्थक वक्तव्य
नई देहली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गोल टोपी (मुसलमानों द्वारा पहनी जानेवाली टोपी) पहने हुए देखना है, ऐसा वक्तव्य अभिनेता नसरुद्दीन शाह ने दिया । ज्येष्ठ पत्रकार करण थापर ने उनका साक्षात्कार लिया । इस साक्षात्कार में उन्होंने उपरोक्त वक्तव्य दिया । ‘देश के इतिहास में पहली बार ही मुसलमान समुदाय का एक भी प्रतिनिधि दिखाई नहीं दे रहा है । राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन में एक भी मुसलमान, ईसाई, सिख सांसद नहीं है; परंतु सरकार में मोदी ने १ सिख और १ ईसाई मंत्री नियुक्त किए हैं । इस स्थिति के संदर्भ में आप की क्या राय है ?’, ऐसा प्रश्न करण थापर ने शाह से पूछा । इस समय उन्होंने उपरोक्त उत्तर दिया ।
शाह ने आगे कहा कि,
१. मोदी ने पहले किसी एक कार्यक्रम में गोल टोपी पहनने को नकारा था । इस घटना को भूलना संभव नहीं है । गोल टोपी पहनने से वे ऐसा संदेश दे पाएंगे कि, ‘मैं मुसलमानों से भिन्न नहीं हूं । हम दोनों इस देश के नागरिक है ।’ (भारत के अधिकांश मुसलमान पाकिस्तानप्रेमी हैं । अनेक घटनाओं में पाकिस्तान के प्रति उभर आया उनका प्रेम भारतीयों ने देखा है । अत: मुसलमानों को उनके भारतीय होने का भान है या नहीं ?’, यह शाह पहले बताएं ! – संपादक) यदि वे देश के मुसलमानों को अपनाना चाहते हैं, तो ऐसा करने से उन्हें इसका लाभ हो सकेगा ।
२. भाजपा का मुसलमान द्वेष उनके नियंत्रण के बाहर गया है । यह बात निराशाजनक है । मुसलमानों के प्रति उनके मन में बसा द्वेष बहुत गहराई तक गया है ।
३. मोदी का अहंकार बहुत बडा है । ‘वे अपने वक्तव्यों पर नियंत्रण रखे’, ऐसी अपेक्षा करना एक साहस होगा । इसलिए उनसे भूल हुई है ?, यह बात उन्हें कभी स्वीकार नहीं होगी । इसलिए गोल टोपी पहनने से ही वे अच्छा संदेश दे पाएंगे ।
मुसलमानों को दिया परामर्श !
भाजपा द्वारा किए जा रहे मुसलमान द्वेष के संदर्भ में शाह ने कहा कि मुसलमान द्वेष का उत्तर द्वेष से न दें । राहुल गांधी ने जिस प्रकार ‘नफरत के बाजार में मुहोब्बत की दुकान’, ऐसा कहते हुए जिस प्रकार प्रयत्न किए, वैसे प्रयत्न मुसलमानों को करने चाहिए । (अधिकांश भारतीय मुसलमान धर्मांध हैं, इसलिए उनसे ऐसी अपेक्षा करना हास्यास्पद है ! – संपादक) भाजपा के नेता किसी भी वक्तव्य का बुरा न मानें । उन्हें इसके परे जाने के लिए प्रयत्न करने चाहिए ।
संपादकीय भूमिका
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