भारत के विकास को नई दिशा प्रदान करनेवाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी !
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुनः एक बार भारत के प्रधानमंत्री पद पर विराजमान हुए । ३ बार मुख्यमंत्री पद पानेवाले तथा उसके उपरांत ३ बार प्रधानमंत्री बननेवाले नरेंद्र मोदी भारत के एकमात्र राजनेता हैं । विशेष बात यह है कि मोदी विधानसभा का चुनाव लडे बिना सीधे मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हुए तथा सांसद बनने पर सीधे प्रधानमंत्री बन गए । देश में ऐसा अन्य कोई राजनेता नहीं है । राजीव गांधी सीधे प्रधानमंत्री बने थे; परंतु अगली बार वे पुनः प्रधानमंत्री नहीं बन पाए थे । मोदी की इस सफलता का अध्ययन करना आवश्यक है; क्योंकि केवल विकास एवं करिश्मा (चमत्कार) हो, तभी जनता मतदान करती है, ऐसा नहीं होता; अपितु उसके लिए जनता का विश्वास प्राप्त करना सबसे महत्त्वपूर्ण होता है । प्रधानमंत्री मोदी ने पहले अपने राजनीतिक दल का, उसके पश्चात मुख्यमंत्री के रूप में गुजरात राज्य का तथा अब प्रधानमंत्री के रूप में देश की जनता का विश्वास जीता है । केवल इतना ही नहीं, अपितु विदेश में रहनेवाले भारतीय, अनेक विदेशी नागरिक तथा अनेक देशों के राष्ट्रप्रमुख भी अब मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा कर रहे हैं ।
१. मोदी का ५३ वर्षाें का सार्वजनिक जीवन
प्रधानमंत्री मोदी का जन्म १९५० में हुआ तथा वर्ष १९७० में वे रा.स्व. संघ के पूर्णकालीन स्वयंसेवक बन गए । आज वे ७३ वर्ष के हैं, इसका अर्थ उन्होंने अभी तक ५३ वर्षाें का सार्वजनिक जीवन व्यतीत किया है । इसमें से लगभग २३ वर्ष उन्होंने मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री के रूप में अधिकार पद पर व्यतीत किए हैं । संघ के प्रचारक होने के समय उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों में काम किया है । वे भारत के भूगोल एवं इतिहास से भलीभांति परिचित हैं । वे देश का कोना-कोना घूमकर आए हैं । उसके कारण समाज के साथ उनका संपर्क प्रचंड हैं । वे समाज की मानसिकता, भाषा एवं विचार की नस पकड लेते हैं । उन्होंने देश के लिए अपना संपूर्ण जीवन निरपेक्षता से समर्पित किया है, उसके कारण उनमें देशभक्ति कूट-कूटकर भरी है । यही देशभक्ति उन्हें सर्वकाल देश का, देश के विकास का तथा प्रगति का विचार करने के लिए प्रेरित करती है । देश के अन्य राजनेताओं की भांति वे गृहस्थी में संलिप्त नहीं हुए । उन्हें भले ही संघ के संस्कार मिले हों; परंतु उन्हें आध्यात्मिक साधना का भी बल प्राप्त है । उसके बल पर ही वे विगत ५३ वर्ष से अविरत कार्यरत हैं तथा उन्हें ईश्वर की कृपा भी प्राप्त हो रही है । इसके बल पर ही वे अभी तक अनेक संकटों में भी कार्य कर सके । इस प्रकार का कार्य तथा उसमें सफलता प्राप्त करनेवाला राजनेता भारत की राजनीति में अन्य कोई नहीं है । उसके कारण उनके दल से अथवा विरोधी दलों से उन्हें चुनौती देनेवाला अन्य कोई नेता नहीं है ।
२. हिन्दू धर्म को पुनर्प्रतिष्ठा दिलानेवाले संन्यस्त वृत्ति के प्रथम प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ प्रधानमंत्री !
नरेंद्र मोदी पर रा.स्व. संघ के संस्कार होने के कारण वे हिन्दुत्वनिष्ठ हैं । उनका स्वयं का हिन्दुत्व का प्रचंड अध्ययन है । उसी समय वे आध्यात्मिक भी हैं । पूर्णकालीन स्वयंसेवक होने के समय वे कुछ वर्षाें तक संन्यासी के रूप में साधना कर रहे थे । संतों के बताए अनुसार वे पुनः संघ में आकर प्रचार करने लगे । उनके द्वारा देश एवं धर्म की बडी सेवा होनेवाली थी; इसीलिए संतों ने उन्हें पुनः समाज में जाने के लिए कहा तथा वे पुनः संघ में सम्मिलित होकर प्रचार में जुट गए । वे भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने धर्मनिरपेक्षता का प्रदर्शन किए बिना सीधे अपनी धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का निर्वहन करते हुए हिन्दुओं के मंदिरों का विकास किया । उन्होंने मंदिरों में जाकर नियमितरूप से पूजन-अर्चन किया, साथ ही धार्मिक अधिष्ठान किए । काशीविश्वनाथ मंदिर का विकास उनकी सबसे बडी सफलता मानी जाती है । श्रीराम मंदिर के निर्माण में भी उनका सुझाव लिया गया । अयोध्या के विकास में उनका बडा योगदान है । श्रीराम मंदिर में स्थित श्रीरामलला की (श्रीराम का बालक रूप) प्राणप्रतिष्ठा में वे यजमान थे, उसके लिए उन्हें ३ दिन का अनुष्ठान करने के लिए कहा गया था; परंतु उन्होंने ११ दिन अनुष्ठान किया । इसमें उपवास रखना होता है तथा भूमि पर सोना होता है । इस अवधि में उन्होंने इन सभी बातों का पालन कर दक्षिण भारत जाकर कुछ प्राचीन मंदिरों के दर्शन किए थे । भारत के इतिहास में ऐसा प्रधानमंत्री कभी नहीं हुआ ।
प्रधानमंत्री मोदी प्रत्येक आश्विन नवरात्रि में ९ दिन का उपवास रखते हैं । कुछ वर्ष पूर्व जब वे नवरात्रि के समय अमेरिका की यात्रा पर गए थे, उस समय उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की रात्रिभोज में केवल पानी ही पीया था ।
३. स्वभावदोष एवं अहं निर्मूलन हेतु प्रयास करनेवाले मोदी !
एक भेंटवार्ता में प्रधानमंत्री मोदी से एक प्रश्न पूछा गया था कि वे किसी प्रसंग में अस्थिर होें, तो क्या करते हैं ? इसपर उन्होंने बताया था कि वे उस संपूर्ण प्रसंग को कागद पर उतारते हैं । वे उसमें उनका चिंतन लिखकर उस कागद को फाड देते हैं । उसके उपरांत वे पुनः उस प्रसंग का विचार नहीं करते । इससे वे किसी भी प्रसंग में अनावश्यक संलिप्त नहीं होते तथा आगे का विचार करते हैं ।
४. मोदी के द्वारा प्रधानमंत्री पद ग्रहण करने के उपरांत विभिन्न क्षेत्रों में किया गया कार्य !
४ अ. उद्योग
४ अ १. मेक इन इंडिया : पहले भारत अन्य देशों से विभिन्न उपकरणों का आयात करता था, उस समय वे देश उन उपकरणों के पुर्जाें का (स्पेयर पाटर््स का) भी भारत को निर्यात करते थे । विशेषरूप से हथियारों की खरीद में ऐसा होता था; परंतु प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ संकल्पना के द्वारा विदेश से जो कुछ आयात किया जाएगा, उसके कुछ भाग भारत में बनाने के साथ ही उसके उपरांत उसके पुर्जे भी भारत में बनाने की शर्त रखना आरंभ किया । महत्त्वपूर्ण बात यह कि इसका बहुत अच्छा प्रत्युत्तर मिला । इन शर्ताें के कारण भारत में इन विदेशी प्रतिष्ठानों के कारखाने लगे, जिससे भारतीयों को रोजगार मिला ।
४ अ २. स्टार्टअप : भारत में पहले कारखाने, उद्योग एवं व्यवसाय आरंभ करने का कोई प्रयास नहीं करता था । युवकों के लिए उद्योगों का आरंभ करने हेतु उन्होंने स्टार्टअप योजना आरंभ कर युवकों को सभी प्रकार की सहायता करना आरंभ किया । उसके कारण लाखों नए व्यवसाय आरंभ हुए ।
४ अ ३. ‘लोकल फॉर वोकल’ अर्थात स्थानीय लोगों की कलाओं एवं उत्पादों को प्रोत्साहन : भारत में स्थानीय स्तर पर भारी मात्रा में विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाए जाते हैं । उन्हें स्थानीय स्तर पर ही बाजार मिलता है । ऐसे उत्पादों की देश में तथा विदेश में भी बिक्री हो तथा उसका अधिक से अधिक प्रसार होकर स्थानीय लोगों को लाभ मिले; इस उद्देश्य से यह योजना लाई गई है । भारतीय लोगों को इसका बहुत बडा लाभ मिल रहा है ।
४ अ ४. हवाई अड्डों की संख्या दोगुनी से अधिक करना : देश में विगत १० वर्षों में दोगुने से अधिक संख्या में हवाई अड्डों का निर्माण हुआ है । लोगों की यात्रा अधिक से अधिक शीघ्र गति से तथा सुलभ हो; इसके लिए प्रधानमंत्री ने यह प्रयास किया । जिस प्रकार से हवाई अड्डों की संख्या बढेगी, उसी स्तर पर विमानों की संख्या भी बढानी पडेगी; इस दृष्टि से उन्होंने विदेशी प्रतिष्ठानों के विमान खरीदने के बडे समझौते किए । उससे विदेशों को भी काम मिला है ।
४ अ ५. रेल का आधुनिकीकरण : विगत १० वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी ने रेल का अधिक से अधिक आधुनिकीकरण करने का प्रयास किया है । ‘बुलेट ट्रेन’ उनका सपना है । उससे पूर्व उन्होंने भारतीय वातावरण के लिए ‘वन्दे भारत’ नाम से रेलगाडियों का निर्माण किया, जिसका प्रचंड प्रत्युत्तर मिल रहा है । इन गाडियों के कारण रेल की गति बढी है ।
४ आ. रक्षा क्षेत्र
४ आ १. पाकिस्तान से संबंध तोडना : प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष २०१४ के उपरांत पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से अच्छे संबंध बनाने का प्रयास किया था । उसके लिए वे लाहौर में उनके जन्मदिवस के समारोह में भी सम्मिलित हुए थे; परंतु उसके उपरांत कुछ भिन्न-भिन्न कारणों से ये संबंध आगे नहीं बढ सके, साथ ही पाकिस्तान की ओर से भारत में आतंकी गतिविधियां जारी रहने से उन्होंने पाकिस्तान से संबंध तोडे । पाकिस्तान ने भी भारत के साथ व्यापार बंद किया, जिससे उसी की हानि हुई ।
४ आ २. सर्जिकल एवं एयर स्ट्राइक : कश्मीर के पुलवामा एवं उरी के सैन्यशिविरों पर हुए आक्रमणों के उपरांत भारतीय सेना एवं वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर वहां के आतंकियों को ढेर किया । इससे पाकिस्तान पर लगाम लगी ।
४ आ ३. हथियारों का उत्पादन एवं बिक्री : कांग्रेस के कार्यकाल में गांधीवादी एवं अहिंसावादी नीति के कारण भारत ने हथियारों के उत्पादन एवं बिक्री की संभावना की ओर कभी देखा ही नहीं । मोदी के कार्यकाल में उन्होंने हथियारों का उत्पादन तथा हथियारों की बिक्री को आगे बढाया । ‘तेजस’ भारत के संपूर्णतः स्वदेशी लडाकू विमानों की निर्मिति है तथा भारत अब तेजस विमानों को अन्य देशों को बेचनेवाला है । उसी समय भारत ने रूस की सहायता से ‘ब्राह्मोस’ क्षेपणास्त्र बनाया, तब भी विदेशों में उसकी बहुत मांग है तथा यह विमान भारत विदेशों को बेचने भी वाला है । (क्रमशः)
– श्री. प्रशांत कोयंडे, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा
तीसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी से हिन्दुओं की अपेक्षाएं !प्रधानमंत्री मोदी अब तीसरी बार प्रधानमंत्री बननेवाले हैं । पिछले २ कार्यकालों में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किए गए विकास तथा हिन्दुत्व के कार्य के कारण ही अधिकतर हिन्दुओं ने उन्हें तीसरी बार इस पद पर विराजमान किया है । अब अगले ५ वर्षाें में उन्हें अनेक बडे कार्य करने होंगे तथा उन्होंने ये कार्य किए, तो वे भारत के इतिहास में तथा हिन्दुओं मे हृदय में स्थायी रूप से अचलपद प्राप्त करेंगे, ऐसा लगता है । ये कार्य निम्नानुसार हैं –
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विश्व का नेतृत्व करनेवाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी !‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी विदेश यात्राओं ने अनेक वैश्विक नेताओं तथा बहुदलीय संस्थाओं से ‘भारतीय प्राचीन वस्तुएं’, इस विषय पर बातचीत की । उसके फलस्वरूप विदेशों में रखी गई २५१ प्राचीन वस्तुएं भारत में वापस लाई गई हैं । उसके उपरांत वर्ष २०२२ में अमेरिका के अधिकारियों ने ३०७ प्राचीन वस्तुएं भारत को वापस लौटाई । अनेक तस्करी के मार्गाें से इन प्राचीन वस्तुओं को भारत से चुराकर ले जाया गया था । उनका मूल्य लगभग ४ दशलक्ष डॉलर है । इसी वर्ष में १३ देशों ने कुल ६८२ प्राचीन वस्तुएं भारत को लौटाई हैं, जिनका मूल्य ८४ दशलक्ष डॉलर से भी अधिक (७० करोड रुपए से अधिक) है । ‘प्राचीन वस्तु तस्करी युनिट’ ने उसकी स्थापना से लेकर लगभग २२०० प्राचीन वस्तुएं भारत में वापस लाई हैं । नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले ७ वर्षाें में अनेक प्राचीन वस्तुएं वापस लाने में सफलता प्राप्त की है । इसके अतिरिक्त वर्ष २०१४ से ४१ कलाकृतियां भारत वापस लाई गई हैं, जो मुख्यरूप से ११ वीं से १४ वीं शताब्दी की अवधि की हैं, साथ ही ईसापूर्व २००० की तांबे की मानववंशीय वस्तुएं अथवा दूसरी शताब्दी का टेराकोटा फूलदान जैसी ऐतिहासिक प्राचीन वस्तुओं का इसमें समावेश है । आधी कलाकृतियां तो सांस्कृतिक हैं, जबकि शेष आधे में हिन्दू धर्म, बौद्ध एवं जैन पंथ से संबंधित मूर्तियां हैं । उनका निर्माण धातु, पत्थर तथा टेराकोटा से किया गया है ।’ – सुधा साठ्ये (साभार : त्रैमासिक ‘समर्थ’, अक्टूबर २०२३) |